SIT Report On Twin Tower Noida: उत्तर प्रदेश स्थित नोएडा के ट्विन टावर के अवैध निर्माण को लेकर SIT की 46 पन्नों की रिपोर्ट में नोएडा अथॉरिटी के भ्रष्टाचार का खुलासा किया गया है. SIT रिपोर्ट में उन तमाम जिम्मेदार अधिकारियों के नाम बताए गए हैं, जिनकी देख-रेख में ट्विन टावर का अवैध ढंग से निर्माण हुआ. नोएडा में करप्शन के ट्विन टावर को ध्वस्त होते हुए पूरी दुनिया ने देखा.12 सेकेंड में अवैध ढंग से बने दो टावर मलबे में तब्दील हो गए लेकिन ये अवैध टावर आखिर बन कैसे गए.वो भी लोगों की जिन्दगी को दांव पर लगाकर?
सालों-साल तक ये टावर बनते रहे लेकिन उन्हें रोकने की कोशिश क्यों नहीं की गई? सवाल ये है कि आखिर किसकी मिलीभगत से ये आसमान को छूते टावर बनते रहे. वो अधिकारी कौन हैं जिन्होंने नियम-क़ानून को ठेंगा दिखाने वाले इस टावर को बनने से नहीं रोका?
नोएडा के इन पूर्व CEO के हैं नाम
एसआईटी रिपोर्ट में नोएडा अथॉरिटी के पूर्व सीईओ देवदत्त, संजीव सरन, बलविंदर सिंह, एके द्विवेदी, मोहिंदर सिंह का नाम है. लेकिन इस मामले में दर्ज एफआईआर में देवदत्त, संजीव सरन, बलविंदर सिंह के नाम नहीं हैं. एसआईटी की रिपोर्ट के अनुसार मंजूरी मिलने से पांच महीने पहले ही ट्विन टावर का निर्माण शुरू कर दिया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार नोएडा अथॉरिटी ने 26 नवंबर 2009 को ट्विन टावर के निर्माण की मंजूरी दी लेकिन जुलाई 2009 में ही इसका काम शुरू हो गया था. वहीं इस इमारत के लिए सेफ्टी सर्टिफिकेट 22 सितंबर 2009 को दिया गया.
SIT की रिपोर्ट में हुए बड़े खुलासे
- हर टावर में 2 मंजिलें ज्यादा बनीं
- कंस्ट्रक्शन मंजूर नक्शे के मुताबिक नहीं
- फायर स्टेयरकेस के बिना ही NOC
- मंजूरी से पहले ही टावर का निर्माण शुरु हो गया
- बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी के बीच मिलीभगत
- बिल्डर के फायद के लिए सुप्रीम कोर्ट गई नोएडा अथॉरिटी
- दो टावर के बीच वाली दूरी का नियम तोड़ा
- 18 मी. की दूरी वाले नियम का उल्लंघन
बिल्डर्स और अधिकारियों की मिलीभगत!
एसआईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि बिल्डर्स और अधिकारियों की मिलीभगत से निर्माण हुआ. इसके अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ नोएडा अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. इसके जरिए सुपर टेक के हेराफेरी को सही करार देने की कोशिश की गई. रिपोर्ट में कहा गया है बिल्डर को लाभ पहुंचाने के लिए यह याचिका दाखिल की गई.
रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि आरोपी अधिकारियों के खिलाफ विशेषज्ञ एजेंसी द्वारा कराई जाए, हालांकि अभी तक जांच शुरू नहीं हुई है. बता दें एसआईटी बनाने वाली कमेटी में औद्योगिक विकास आयुक्त संजीव मित्तल, ग्राम विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, मेरठ जोन के एडीजीपी राजीव सभरवाल और चीफ टाउन प्लानर अनूप श्रीवास्तव थे.
हालांकि सुपरटेक के सीएमडी आरके अरोड़ा ने कहा कि सभी नियमों का पालन किया गया. उन्होंने एसआईटी की रिपोर्ट को नकारते हुए कहा कि नोएडा की हर अथॉरिटी ऐसे ही बनी है. उन्होंने कहा कि अगर एमराल्ड कोर्ट अवैध है तो सभी अथॉरिटी अवैध हैं. इस जांच रिपोर्ट के संदर्भ में राज्य सरकार के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने कहा कि एक भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. एक भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा. सभी के खिलाफ कार्रवाई होगी.