North Eastern Railway: एनईआर ने 18 रेलवे पुलों पर लगाए वाटर लेवल मॉनीटरिंग सिस्टम, खतरे के बीच SMS से मिलेगी जानकारी
UP News: पूर्वोत्तर रेलवे ने नदियों में बाढ़ की समस्या को देखते हुए 18 रेलवे पुलों पर वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया है. जिससे बाढ़ के खतरे के बीच अधिकारियों को एसएमएस से जानकारी मिल जाएगी.
UP North Eastern Railway: पूर्वोत्तर रेलवे बरसात के सीजन में उफनाती नदियों और बाढ़ के खतरे के बीच रेलवे पुलों पर बढ़ते जलस्तर की निगरानी कर रहा है. ये निगरानी जलस्तर बढ़ने के खतरे के प्रति आगाह करेंगे. इसके लिए रेलवे ने 'वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम' लगाया है, जो अधिकारियों को एसएमएस के माध्यम से प्रतिदिन वाटर लेवल की जानकारी देगा. रेल प्रशासन नित नई तकनीकियों के समावेश से निरन्तर सुरक्षा सुधार के पथ पर अग्रसर है.
मानसून के दौरान नदियों के जलस्तर की निगरानी हेतु पूर्वोत्तर रेलवे के विभिन्न खण्डों पर स्थित 18 महत्वपूर्ण पुलों पर वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए गए हैं, जिसमें औंड़िहार-वाराणसी खण्ड के मध्य गोमती नदी पर बने पुल संख्या-137, वाराणसी-प्रयागराज के मध्य गंगा नदी पर बने पुल संख्या-111, सलेमपुर-इंदारा के मध्य घाघरा नदी पर बने पुल संख्या-31, छपरा-फेफना के मध्य घाघरा नदी पर बने पुल संख्या-16, नरकटियागंज-कप्तानगंज के मध्य गंडक नदी पर बने पुल संख्या-50, सीवान-भटनी के मध्य छोटी गंडक नदी पर बने पुल संख्या-119 प्रमुख हैं.
क्या बोले जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि सुरक्षित एवं संरक्षित ट्रेन संचलन रेलवे की पहली प्राथमिकता है. इसे सुदृढ़ करने के लिए सतत सुधार एवं आधुनिक तकनीकी का समावेश किया जाता है. बरसात के इस मौसम में महत्वपूर्ण पुलों पर नदियों का जलस्तर मापने के लिए इज्जतनगर मंडल के गंगा, यमुना एवं देहवा नदियों पर, लखनऊ मंडल के घाघरा, राप्ती, घाघरा, शारदा, बबई, सरयू, ककरा एवं रोहिन नदियों पर तथा वाराणसी मंडल के गंगा, गंडक, घाघरा, गोमती एवं छोटी गंडक नदियों पर बने पुलों पर वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए गए हैं.
वाटर लेवल की सूचना मिलना हुआ आसान
आधुनिक वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम के लग जाने से नदियों पर बने रेल पुलों पर वाटर लेवल की सूचना मिलना आसान हो गया है. इस सिस्टम में सोलर पैनल से जुड़ा एक सेंसर होता है, जिसमें एक चिप भी लगी होती है. यह सेंसर ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़ा होता है. प्रतिदिन नियमित अंतराल पर नदियों के जलस्तर की जानकारी संबंधित सहायक मंडल इंजीनियर, सेक्शन इंजीनियर/कार्य एवं सेक्शन इंजीनियर/रेल पथ के मोबाइल नंबर पर एस.एम.एस. के माध्यम से मिल जाती है. फलस्वरूप समय से नदी के जलस्तर की सूचना मिलने पर त्वरित कार्रवाई कर रेलपथ को संरक्षित करना आसान हो जाता है.
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