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UP Election 2022: अफसरशाही से ज्यादा रास आ रही नेतागिरी, असीम अरुण ही नहीं, इन्होंने भी राजनीति में आजमाया हाथ
UP Election 2022: कानपुर के पुलिस कमिश्नर रहे असीम अरुण बीजेपी में शामिल हो गए हैं, लेकिन अफसरशाही छोड़कर राजनीति में आने वाले वो अकेले नहीं हैं लिस्ट काफी लंबी है.
UP Assembly Election 2022: कानपुर के पुलिस कमिश्नर रहे असीम अरुण (Aseem Arun) नौकरी से वीआरएस लेकर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. खबरों की मानें तो उन्हें कन्नौज सीट (Kannauj Seat) से बीजेपी अपना प्रत्याशी बना सकती है, लेकिन अफसरशाही छोड़कर राजनीति में आने वाले वो अकेले नहीं हैं. यूपी में कई ऐसे नेता हैं जो पहले बड़े प्रशासनिक पदों पर रह चुके हैं. उत्तर प्रदेश में करीब एक दर्जन ब्यूरोक्रेट्स हैं जो अब राजनीति में कदम रख चुके हैं.
बीजेपी में शामिल हुए असीम अरुण
कन्नौज असीम अरुण का पैतृक जिला है. उनके पिता श्रीराम अरुण सूबे के डीजीपी रह चुके हैं. असीम अरुण की अभी साढ़े आठ साल की नौकरी बची हुई थी, लेकिन उन्हें राजनीति इतनी रास आई कि उन्होंने समय से पहले ही अपनी नौकरी से वीआरएस ले लिया. असीम के अलावा पूर्व आईएएस राम बहादुर ने भी बीजेपी की सदस्यता ली है. ये बात अलग है कि उन्होंने रिटायरमेंट के बाद ये फैसला लिया. आईए आपको आपको बताते हैं कि इनके अलावा और कौन से नेता है जो पहले प्रशासनिक अफसर रह चुके हैं.
- मायावती के करीबी रामबहादुर अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय कर्मचारी संघ के सदस्य रहे हैं. उन्होंने 2017 में लखनऊ की मोहनलालगंज सीट से बसपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था लेकिन 500 मतों से हार गए थे.
- इस कड़ी में एक नाम गुजरात कैडर के 1988 बैच के पूर्व आईपीएस अरविंद कुमार शर्मा का नाम भी शामिल है. उन्होंने 2 साल पहले ही वीआरएस ले लिया था. उन्हें पीएम मोदी का करीबी माना जाता है वो आज एमएलसी और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं.
- पूर्व आईपीएस बृजलाल भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. बीजेपी ने पहले उन्हें यूपी अनुसूचित जाति जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया और बाद में उन्हें राज्यसभा भेजा गया. बृजलाल बीजेपी घोषणा पत्र समिति के उपाध्यक्ष भी हैं.
- सतपाल सिंह ने भी रिटायर होने के बाद भाजपा का दामन थामा था. सतपाल सिंह बागपत से सांसद हैं
- कांग्रेस नेता पीएल पुनिया भी 1970 बैच के अफसर रहे है. साल 2005 में रिटायर होने के बाद वो कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उनकी गिनती कांग्रेस के बड़े नेताओं में होती है.
- पूर्व आईएएस कुंवर फतेह बहादुर भी राजनीति में है, वो मायावती के करीबी माने जाते हैं.
- इस लिस्ट में एक नाम हरिशंकर पांडे का भी हैं. उन्होंने अपनी रिटायरमेंट के बाद कुछ समय पहले ही आम आदमी पार्टी की सदस्यता ली थी.
- आईएएस विजय शंकर पांडे ने भी राजनीति में एंट्री की. उन्होंने खुद की पार्टी बनाई और अयोध्या से 2019 का चुनाव भी लड़ा.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
Opinion