देहरादून, एबीपी गंगा। टिहरी जिले में अब ड्रोन तकनीक के माध्यम से पौधारोपण का कार्य किया जाएगा। इससे जहां पौधारोपण के कार्य में आसानी होगी, वहीं कार्यों में भी तेजी आएगी। इससे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जहां पर लोगों का जाना आसान नहीं, वहां पर भी ड्रोन के माध्यम से बीजों को डालकर पौधारोपण किया जा सकेगा। नई टिहरी के दुग्ध संघ आंचल डायरी के समीप के जंगल में ड्रोन के माध्यम से बीज डाले गए। संभवत: प्रदेश में यह पहला प्रयोग किया गया, जो सफल रहा है। इसके बाद अब अन्य जगहों पर भी ड्रोन के माध्यम से बीज डालकर पौधारोपण का कार्य किया जाएगा।


नई टिहरी के आंचल डेरी के समीप के जंगल में संकल्प तरू संस्था के माध्यम से ड्रोन से बीज डालने का कार्य सफल रहा। यहां पर ड्रोन के माध्यम से विभिन्न प्रजाति के पौधों के बीज डाले गए। इस ड्रोन की एक बार में 7.50 ग्राम बीज ले जाने की क्षमता है। ड्रोन का जो सबसे बड़ा फायदा है, वह यह है कि ऊंचाई वाले या ढलान वाले क्षेत्रों में जहां पर लोगों का जाना संभव नहीं है, वहां पर ड्रोन के माध्यम से आसानी से बीज डाले जा सकते हैं और वहां पर पेड़ उग सकते हैं।



इस अवसर पर संकल तरू संस्था के ऑपरेशन हेड ने बताया कि डिटोल सीटी सिल्ड के माध्यम से यह कार्य किया जा रहा है। टिहरी में पहली बार ड्रोन के माध्यम से जंगल में बीज डाले गए। उन्होंने बताया कि जहां पर पौधारोपण किया जाना संभव नहीं है और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जहां पर जंगल खाली हैं, ड्रोन के माध्यम से आसीन से बीज डाले जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि ड्रोन में कैमरा फिट किया गया है इस कैमरे के माध्यम से यह पता लगाया जा सकता है, कहां पर जगह खाली है जहां बीज डाले जा सकते है। रिमोट के माध्मम से ड्रोन का संचालन होता है।



ऑपरेशन हेड ने बताया कि ऑल वेदर रोड के डंपिंग जोन में भी बीज डाले जाएंगे, ताकि वहां पर भूस्खलन का खतरा न रहे। डीएफओ कोको रोसो ने बताया कि इससे पौधारोपण के कार्य में आसानी होगी। वन विभाग के सहयोग से यह कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि संस्था के साथ विभाग दो साल से थौलधार क्षेत्र में भी पौधारोपण का कार्य कर रहा है।