RSS के स्कूलों में बह रही है बदलाव की बयार, 30 फीसदी बढ़ी मुस्लिम छात्रों की संख्या
आरएसएस की एजूकेशनल विंग विद्या भारती द्वारा ईस्टर्न यूपी रीजन में संचालित होने वाले एक हजार से ज्यादा स्कूलों में मुस्लिम स्टूडेंट्स की संख्या में तकरीबन तीस फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।
प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। विपक्षी पार्टियां भले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाकर उसे बदनाम करने की मुहिम में लगी रहती हों, लेकिन आरएसएस से मुस्लिमों के रिश्ते बेहतर होने को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। केंद्र में मोदी और यूपी में योगी की अगुवाई में बीजेपी की सरकार बनने के बाद आरएसएस के स्कूलों में मुस्लिम स्टूडेंट्स की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।
बीते तीन सालों में आरएसएस की एजूकेशनल विंग विद्या भारती द्वारा ईस्टर्न यूपी रीजन में संचालित होने वाले एक हजार से ज्यादा स्कूलों में मुस्लिम स्टूडेंट्स की संख्या में तकरीबन तीस फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। तीन साल में तीस फीसदी की बढ़ोत्तरी को लेकर लोगों का अलग-अलग आंकलन है। कोई इसे मुस्लिम समाज में बच्चों को क्वालिटी और संस्कार वाली शिक्षा दिलाने की जागरूकता मान रहा है तो कोई संघ की कट्टरवादी छवि के बजाय उसकी राष्ट्रवादी सोच के प्रचार-प्रसार को बदलाव की वजह मान रहा है।
विद्या भारती के ईस्टर्न यूपी रीजन में पूर्वी उत्तर प्रदेश के 49 जिले आते हैं। इन 49 जिलों में संघ के 1194 स्कूल संचालित होते हैं। तीन साल पहले इन स्कूलों में महज 6890 मुस्लिम बच्चे पढ़ाई करते थे, लेकिन आज की तारीख में यहां 9 हजार से ज्यादा मुस्लिम बच्चे तालीम हासिल कर रहे हैं। इन स्कूलों में इन दिनों 9037 मुस्लिम स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। रीजन में संघ द्वारा चलने वाले ज़्यादातर स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में चलते हैं। मुस्लिम स्टूडेंट्स भी संघ के इन स्कूलों में बाकी बच्चों के साथ ही पढ़ते हैं। उनके साथ भोजन व प्रार्थना करते हैं। वेद मन्त्रों का जाप और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं। मुस्लिम बच्चे यहां सूर्य नमस्कार भी करते हैं और दूसरे बच्चों के साथ घुल मिलकर रहते हैं।
इस बारे में विद्या भारती के प्रदेश निरीक्षक राम जी सिंह का कहना है कि इसके लिए संघ या विद्या भारती ने कोई अलग प्रयास नहीं किया, बल्कि बढे हुए बच्चों के परिवार वाले उन्हें लेकर खुद स्कूलों तक आते हैं। उनके मुताबिक पिछले कुछ समय में मुस्लिम समुदाय में अपने बच्चों को क्वालिटी एजूकेशन और संस्कार वाली शिक्षा दिलाने को लेकर काफी जागरूकता आई है, इसी वजह से वह अपने बच्चों को संघ के स्कूलों में भेज रहे हैं।
राम जी सिंह मुताबिक इस दौरान संघ के मुस्लिम विरोधी होने और इसके स्कूलों में भेदभाव के बेबुनियाद आरोपों की हकीकत को भी मुस्लिम समाज समझ चुका है। इस बारे में बीजेपी सांसद संगम लाल गुप्ता का कहना है कि विपक्षी पार्टियों ने संघ को लेकर जो भ्रम फैलाया था, उससे अब मुस्लिम समुदाय वाकिफ हो चुका है। उनके मुताबिक पीएम मोदी ने सबके विश्वास की जो बात कहीं थी, उस पर अमल करते हुए मुस्लिम समाज अपने बच्चों को राष्ट्रवाद की शिक्षा देने की खातिर संघ के स्कूलों में भेज रहा है।
वैसे संघ के स्कूलों में मुस्लिम स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ने के आंकड़े भले ही चौंकाने वाले हों, लेकिन यह अब भी बेहद कम हैं। संघ के स्कूलों में अब भी औसतन 7 से 8 मुस्लिम बच्चे ही पढ़ रहे हैं। यह संख्या भले ही बहुत कम हो, लेकिन मुस्लिम समुदाय और आरएसएस के पहले के रिश्तों और आज के आंकड़ों को देखा जाए तो यह बड़े बदलाव की तरफ बड़ा इशारा जरूर करते हैं।