आगरा, नितिन उपाध्याय। ताजमहल की वजह से देश ही नहीं दुनिया में आगरा अपनी एक अलग पहचान रखता है। लेकिन साल 2018 और 2019 के आंकड़ों की तुलना करें तो पर्यटन के लिहाज से एक निराशाजनक तस्वीर उभर कर सामने आयी है। दोनों साल के आंकड़ों की तुलना की जाये तो पर्यटकों की संख्या में 10 लाख की कमी आई है। इसके पीछे कई कारण सामने आ रहे हैं। जिसमें नागरिकता संशोधन कानून और राम मन्दिर तनाव को माना जा रहा है। इसके साथ ही अमेरिका और ईरान के बीच फैले तनाव को भी बड़ी वजह माना जा रहा है जिससे एक साल में सवा लाख से ज्यादा विदेशी सैलानी कम हो गए। पिछले 9 साल में ये सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।


अगर आंकड़ों पर गौर किया जाए साल 2019 में 49 लाख 45 हजार 836 भारतीय सैलानियों ने ताज का दीदार किया, तो वहीं साल 2018 में ये आंकड़ा 59 लाख 78 हजार 445 था।


वहीं अगर बात विदेशी सैलानियों की करते हैं तो साल 2019 में 9 लाख 68 हजार 722 सैलानियों ने ताज का दीदार किया जबकि साल 2018 में 8 लाख 49 हजार 542 पर्यटक आगरा का दीदार करने आए।


एक साल में 11 लाख से ज्यादा देसी विदेशी पर्यटकों की संख्या कम होने से पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों में हलचल बढ़ी हुई है। होटलों से लेकर एंपोरियम और ट्रेवल एजेंसियों की वित्तीय हालत भी गड़बड़ाई हुई है।


भले ही उत्तर प्रदेश सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तमाम दावे कर रही है लेकिन आंकड़ें कुछ और ही बात की गवाही दे रहे हैं। इसको लेकर पर्यटन से जुड़े लोगों का कहना है कि लगातार कम हो रहे पर्यटकों की आवक आगरा के पर्यटन उद्योग के लिए अच्छे संकेत नहीं है।