OBC Reservation : महाराष्ट्र पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, जानिए क्या है मामला
OBC Reservation : सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने निकाय चुनाव में ओबीसी के आरक्षण पर रोक लगाई थी.
महाराष्ट्र (Maharashtra) में पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के मसले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सोमवार को सुनवाई करेगा. दिसंबर में कोर्ट ने राज्य के पंचायत चुनाव में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण की अधिसूचना रद्द कर दी थी. अदालत ने कहा था कि बिना जरूरी आंकड़े जुटाए राज्य में आरक्षण दिया गया था. अब महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के आंकड़ों के मुताबिक पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण का पर्याप्त आधार है. इसलिए कोर्ट अपना पिछला आदेश वापस ले.
क्या है मामला पंचायत चुनाव में आरक्षण का मामला
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने निकाय चुनाव में ओबीसी के आरक्षण पर रोक लगाई थी. इस मसले पर महाराष्ट्र सरकार की एक अर्जी पर 19 जनवरी को हुई सुनवाई में कोर्ट ने आरक्षण के मसले पर गेंद राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पाले में डाल दी थी. कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह ओबीसी का डाटा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) के पास जमा करें, ताकि आयोग इसकी जांच कर सके और स्थानीय निकाय के चुनावों में उनकी प्रस्तुति के लिए सिफारिशें दे सके.इस पर राज्य सरकार ने 8 फरवरी को एसबीसीसी की ओर से तैयार अंतरिम रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंप दी थी. रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर कोर्ट अपना अंतिम फैसला सुना सकती है.
उधर, मुंबई में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर राज्यसभा सांसद छत्रपति संभाजीराजे का आमरण अनशन तीसरे दिन भी जारी है.राजे की तबीयत रविवार को खराब हो गई थी. इसके बाद डॉक्टरों की टीम आजाद मैदान पहुंची थी. डॉक्टरों की एक टीम दोपहर 12 बजे, शाम 4 बजे और रात 8 बजे संभाजी राजे के स्वास्थ्य की नियमित जांच कर रही है.
छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रत्यक्ष वंशज संभाजीराजे ने कहा कि वह मराठा समुदाय को न्याय दिलाने के लिए यह कदम उठा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मई में राज्य में शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के मामले में और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने वाले महाराष्ट्र सरकार के कानून को रद्द कर दिया था. संभाजीराजे ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से मराठा आरक्षण को खारिज किए जाने के बाद महाराष्ट्र सरकार की ओर से दायर समीक्षा याचिका की स्थिति पर कोई स्पष्टता नहीं है.