(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Kanpur Buildings: मुसीबत बन गई हैं जर्जर इमारतें, हादसों के बाद भी नहीं खुल रही है अफसरों की नींद
kanpur dilapidated buildings: कानपुर नगर निगम (Kanpur Municipal Corporation) ने 700 के करीब इमारतें (Buildings) जर्जर चिन्हित कर रखी हैं. अगर इन्हें गिराया नहीं गया तो कभी भी अनहोनी हो सकती है.
Kanpur Dilapidated Buildings: कानपुर (kanpur) महानगर में अपनी उम्र पूरी कर चुकी इमारतें (Buildings) ढह रही हैं और लोग हादसों का शिकार होते हुए मौत के मुंह में समा रहे हैं. बावजूद इसके सरकारी मशीनरी हाथ पर हाथ धरे बैठी है. ऐसा लगता है कि नगर निगम के अफसर हादसों का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन, इस बीच कानपुर पुलिस (Kanpur Police) ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर इन जर्जर इमारतों (Dilapidated Buildings) पर उचित कार्रवाई करने के लिए कहा है. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि नगर निगम (Kanpur Municipal Corporation) जर्जर इमारतें चिन्हित करने के बाद भी कार्रवाई से परहेज क्यों कर रहा है.
पुलिस ने नगर आयुक्त को लिखा पत्र
कानपुर नगर निगम ने महानगर में 700 के करीब इमारतें जर्जर चिन्हित कर रखी हैं. पिछले एक साल में ही करीब 70 इमारतें जर्जर घोषित भी की गई हैं. लेकिन, बृहस्पतिवार को रजवी रोड पर जर्जर इमारत ढह जाने से 3 लोगों की मौत हो गई थी जिसके बाद एक बार फिर से ये सवाल उठ खड़ा हुआ है कि नगर निगम इन जर्जर इमारतों को कब तक ऐसे ही मूकदर्शक बनकर देखता रहेगा, और लोगों की जान जाती रहेगी. इस बीच कानपुर पुलिस ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर जर्जर इमारतों को चिन्हित करने और उचित कार्रवाई करने की बात कही है. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि पुलिस इन जर्जर इमारतों को लेकर ज्यादा सक्रिय है और नगर निगम हमेशा की तरह निष्क्रिय.
कभी भी हो सकता है हादसा
स्थानीय निवासी वीरेंद्र गुप्ता का कहना है कि हटिया में एक साल पहले जर्जर इमारत गिरने से 2 लोगों की मौत हो गई थी. अभी भी कई जर्जर इमारतें मौजूद हैं जिन्हें नोटिस नगर निगम ने दिया है फिर भी कार्रवाई नहीं हुई है. कानपुर महानगर में जर्जर मकानों की संख्या 717 के करीब बताई जाती है. अगर ये मकान गिराए नहीं गए तो कभी भी अनहोनी हो सकती है. आशंका ये भी है कि भारी बरसात के दिन कोई भी जर्जर मकान ढह सकता है.
यहां हैं सबसे ज्यादा जर्जर इमारतें
सबसे ज्यादा जर्जर इमारतें कानपुर में पुराने मोहल्लो में हैं. इसमें शिवाला, बादशाही नाका, हटिया, धनकुट्टी, बिरहाना रोड, सिरकी मोहाल, खपरा मोहाल, नयागंज, यतीमखाना, कमला टावर, कोपरगंज, सीसामऊ, बेकनगंज, चमनगंज, मेस्टन रोड, मूलगंज, नई सड़क, दर्शन पुरवा और जाजमऊ ऐसे इलाके हैं जहां जर्जर इमारतें सिरदर्द बन चुकी हैं. 100 से ज्यादा भवनों को इस बार खुद गिराने का नोटिस नगर निगम दे चुका है. 523 लोगों ने अभी तक अपनी इमारतों को गिराने के लिए आवेदन भी किया है. 157 जर्जर भवन ऐसे हैं जो मकान मालिक और किराएदार के विवाद में फंसे हुए हैं.
ये है नगर निगम का दावा
कानपुर नगर के जोनवार जर्जर मकानों की अगर बात की जाए तो जोन-1 में 338, जोन-2 में 16, जोन-3 में 40,
जोन-4 में 268, जोन-5 में 27 और जोन-6 में 28 मकान जर्जर हालत में हैं. कुल 717 इमारतें कानपुर शहर में नगर निगम की तरफ से जर्जर चिन्हित की जा चुकी है. लेकिन, तमाम विवाद और लापरवाही के चलते ये जर्जर मकान हादसे का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि, नगर निगम का दावा है कि तमाम जोनल ऑफिसर जेई को इन इमारतों के ढहाए जाने के अभियान में लगा दिया गया है.
सक्रिय नजर आ रही है पुलिस
नगर निगम के अफसरों की लापरवाही को देखते हुए कानपुर पुलिस कमिश्नरी सक्रिय हो चुकी है. कानपुर पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने थानावार जर्जर इमारतों को चिन्हित करने और उनपर उचित कार्रवाई कराने के लिए नगर आयुक्त शिव शरणप्पा को पत्र भी लिख दिया है. इस बीच पुलिस सक्रिय नजर आ रही है तो नगर निगम अभियान चलाने की बात कह रहा है. इन सबके बीच देखने वाली बात ये होगी कि नगर निगम के अधिकारी कब एक्शन मोड में नजर आते है.
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