अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के नेतृत्व वाली राजस्थान की कांग्रेस (ongress) सरकार ने पिछले महीने पेश बजट में पुरानी पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) लागू करने की घोषणा की. इससे वहां के सरकारी कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई. राजस्थान में पुरानी पेंशन स्क्रीम लागू होने के बाद अन्य राज्यों में इसके लिए मांग तेज हो गई है. खासकर कांग्रेस और उसके गठबंधन सहयोगियों के शासन वाले राज्यों में.दरअसल दिसंबर 2003में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को खत्म कर दिया था. इसके बदले में एक अप्रैल 2004 से नई पेंशन योजना लागू हुई थी.देशभर के कर्मचारी इस नई पेंशन योजना का विरोध कर रहे हैं.


पुरानी पेंशन पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का क्या है कहना?  


कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए वित्तीय स्थिति का अध्ययन किया जाएगा. उन्होंने कहा है कि जो भी संभव होगा, उसे किया जाएगा. छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र आज से शुरू हो रहा है. मुख्यमंत्री 9 मार्च को बजट पेश करेंगे. उम्मीद की जा रही है कि वो बजट भाषण में पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर कोई घोषणा कर सकते हैं.


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नई पेंशन योजना का कर्मचारी काफी लंबे समय से विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि शेयर बाजार पर आधारित होने की वजह से इससे उन्हें बहुत अधिक फायदा नहीं है. उनकी इस मांग का कई राजनीतिक दलों ने समर्थन भी किया है. इनमें कांग्रेस का नाम प्रमुख है. वहीं समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान पुरानी पेंशन स्कीम के बहाली करने का वादा किया है. उसका कहना है कि सरकार बनने पर वो पुराने पेंशन स्कीम को बहाल करेगी. राजस्थान में पुराने पेंशन की बहाली और छत्तीसगढ़ में बहाली की संभावना के बीच कांग्रेस मध्य प्रदेश में इस मुद्दे का समर्थन कर रही है. वहां के कर्मचारी 13 मार्च को पुरानी पेंशन बहाली को लेकर एक बड़ा प्रदर्शन करने वाले हैं. कांग्रेस उनके इस आंदोलन में शामिल होगी.वहीं बीजेपी का कहना है कि शिवराज सिंह की सरकार कर्मचारियों के हित में काम कर रही है. और आगे भी जरूरत होगी उसे किया जाएगा. मध्य प्रदेश में 2023 में विधानसभा का चुनाव होना है.वहीं हिमाचल प्रदेश में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. वहां के कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन की बहाली के लिए एक हफ्ते तक पदयात्रा की जो 3 मार्च को पूरी हुई. कर्मचारियों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश वह राज्य है, जिसने 15 मई 2003 से नई पेंशन स्कीम लागू की थी, जबकि देश के अन्य राज्यों में यह 1 अप्रैल 2004 से लागू हुई थी.


पुरानी पेंशन पर झारखंड सरकार का क्या स्टैंड है?


वहीं कांग्रेस के समर्थन से चल रही झारखंड की हेमंत सोरने की सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने से इनकार कर दिया है. सोरेने ने 28 फरवरी को विधानसभा में कांग्रेस विधायत प्रदीप यादव के सवाल के जवाब में इसकी जानकारी दी. वहीं देश में पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा जैसे राज्य भी हैं, जिन्होंने नई पेंशन स्कीम को लागू ही नहीं किया है. कांग्रेस राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो पुरानी पेंशन के पक्ष में दलील दे रही है. लेकिन उत्तर प्रदेश और पंजाब जहां अभी चुनाव चल रहा है. वहां उसने पुरानी पेंशन को लेकर कोई साफ-साफ वादा नहीं किया है. वहीं उत्तराखंड में उसने सरकार आने पर पुरानी पेंशन की बहाली का वादा किया है.


पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर देशभर में तेज हो रहे आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम देने के लिए कानून मंत्रालय से राय मांगी है. कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह के मुताबिक पुरानी पेंशन पर कानून मंत्रालय से राय मांगी गई है.मंत्रालय का जवाब आने का इंतजार है.उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा. 


कहां-कहां जोर पकड़ रही है पुरानी पेंशन की मांग?


पुरानी पेंशन की मांग उन राज्यों में जोर पकड़ रही है, जहां चुनाव हो रहा है या होने वाला है.वहीं असम,केरल,आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश ने पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग को लेकर रिव्यू कमेटी का गठन किया है.राजस्थान में पुरानी पेंशन की बहाली की घोषणा के बाद से बीजेपी शासित राज्य भारी दवाब में आ गए हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक इंटरव्यू में कहा कि उनकी सरकार कर्मचारी यूनियनों के संपर्क में हैं. हम उन्हें भरोसा दिलाने का प्रयास कर रहे हैं कि उनके हित हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता में होंगे. नई पेंशन स्कीम में जो भी बदलाव किए जा सकेंगे, वो हम करेंगे. योगी आदित्यनाथ के इस बयान से एक बात साफ है कि बीजेपी पुरानी पेंशन की बहाली के पक्ष में नहीं है.