यूपी से सामने आई झकझोर देने वाली तस्वीर, बुजुर्ग कैदी का बिस्तर से बांधकर किया जा रहा है इलाज
यूपी से मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है. यहां एटा जिले के सरकारी अस्पताल में एक बुजुर्ग कैदी को बांधकर रखा गया है. सांस लेने में तकलीफ के बाद उसे इलाज के लिये जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था.
एटा: उत्तर प्रदेश में मरीजों का इलाज किस प्रकार से हो रहा है इसकी एक बानगी एटा जिला अस्पताल में भर्ती 84 साल के सजायाफ्ता बुजुर्ग कैदी की तस्वीर को देख कर की जा सकती है. इसे जिला कारागार से 9 मई को सांस लेने में दिक्कत के बाद अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था. वहां पर इसे हाथ में डालने वाली हथकड़ी से बिस्तर की एक रॉड से बांधकर रखा गया है. इसके साथ आई पुलिस के गार्ड इसको अस्पताल के बेड से बांध कर चलती बनी. अब जिला अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा ये बुजुर्ग शौच ,पेशाब के लिए भी बेड से हिल नहीं सकता.
जेल वार्डन सस्पेंड किया गया
एटा जनपद में इलाज के दौरान एक 84 साल के बुजुर्ग के साथ ऐसा सलूक न केवल मानवता को शर्मसार कर देने वाला है, बल्कि मानवाधिकारों का भी खुले आम उल्लंघन है. मामला मीडिया में आने के बाद उत्तर प्रदेश के डीजी जेल आनंद कुमार ने खबर का संज्ञान लेकर जेल वार्डन अशोक यादव को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है और जेल के पर्यवेक्षण अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि, इस मामले में कोई भी दोषी अधिकारी और कर्मचारी बख्शा नहीं जाएगा.
कैदी 84 साल का बुजुर्ग कैदी है
एटा जनपद कारागार में महिला नॉन कोविड अस्पताल में इलाज करवाने जेल से आये 84 साल के बुजुर्ग सजा याफ्ता कैदी बाबूराम को अस्पताल के बेड में पैर में हथकड़ी डालकर अस्पताल के बेड से बांध दिया गया. ये मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है. ये बुजुर्ग एटा जनपद के सकीट थाना क्षेत्र के कुल्ला हबीबपुर गांव का रहने वाला है और अपहरण और हत्या के एक मामले में सजायाफ्ता अपराधी है. ये 6 फरवरी 2021 से एटा जनपद कारागार में बंद है.
सांस लेने में हो गई थी तकलीफ
9 मई को इसको सांस लेने में तकलीफ होने पर जिला कारागार से एटा जिला अस्पताल इलाज के लिए भर्ती करवाया गया. वहां से इसकी तबियत गंभीर होने के कारण इसको अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया. जेल पुलिस की गारद जब इसको अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज ले कर गयी तो वहां कोई बेड खाली न मिलने पर इसको वापस एटा जिला अस्पताल में लाकर 10 मई को भर्ती कर दिया गया.
इस पूरे मामले में सवाल ये उठता है कि केवल एक सिपाही को निलंबित कर जेल प्राशसन साफ बचना चाह रहा है, जबकि जेल अधीक्षक की इसमे सीधे सीधे जिम्म्मेदारी बनती है. इसके अतीरिक्त जिला अस्पताल के उन डॉक्टरों और अन्य स्टाफ पर भी कार्रवाई होनी चाहिए, जिन्होंने एक 84 साल के मरीज को हथकड़ी द्वारा चारपाई से बंधे बंधे 4 दिनों तक इलाज किया और इसमे अपना पूरा सहयोग भी प्रदान किया.
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