Om Parvat Uttarakhand: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ स्थित ओम पर्वत ओम का चिन्ह गायब होने की घटना ने लोगों को चौंका दिया है. यह एक प्रसिद्ध पर्वत है जो अपने ओम के आकार के चिन्ह के लिए जाना जाता है. यह चिन्ह प्राकृतिक रूप से बना था और इसे हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है. ओम चिन्ह के गायब होने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन यह घटना लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है. लोगों का मानना है कि यह प्राकृतिक कारणों से हुआ होगा, जबकि कुछ लोग इसमें मानव हस्तक्षेप होने की बात कह रहे हैं.


ओम पर्वत और इसका ओम का चिन्ह राज्य की संस्कृति और धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. लोगों ने इस घटना की जांच की मांग की है और ओम के चिन्ह को बहाल करने के लिए कहा है. सरकार ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है. साथ ही ओम के चिन्ह को बहाल करने की दिशा में कदम उठाए हैं. लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही ओम का चिन्ह फिर से अपने स्थान पर होगा.


5,900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ओम पर्वत
बता दें कि उत्तराखंड के पिथोरागढ़ में स्थित ओम पर्वत जिसकी बर्फ पिघलने से विश्व ओम पर्वत से ओम गायब हो गया है. अब यहां महज काला पहाड़ नजर आ रहा है. पर्यावरणविद और स्थानीय लोग वैश्विक तापमान में वृद्धि और उच्च हिमालयी क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्यों को इसके लिए जिम्मेदार मान रहे हैं. बता दें की ओम पर्वत पिथौरागढ़ जिले के धारचूला तहसील की व्यास घाटी में स्थित ओम पर्वत 5,900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर स्थित नाभीढांग से ओम पर्वत के दर्शन होते हैं ये आस्था का केंद्र भी है.


बता दें कि एक दशक पूर्व तक ओम पर्वत और इसके आसपास की पहाड़ियां साल भर बर्फ से ढ़की रहती थीं लेकिन वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी के कारण अब उच्च हिमालयी क्षेत्र की बर्फ भी तेजी से पिघलने लगी है. हाल के सालो में शीतकाल में कम हिमपात के कारण तापमान बढ़ते ही ग्लेशियरों की बर्फ पिघलने लगती है. इस वर्ष ओम पर्वत की बर्फ पिघलने से ओम भी गायब हो गया है.


इस घटना को जलवायु के परिवर्तन का असर भी माना जा सकता है, जिसका असर हमारे उच्च हिमालय क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है. बढ़ती गर्मी और बदलते मौसम से बर्फबारी में भारी कमी आई है. वाहनों से हजारों लाखों की संख्या में पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं. वातावरण के प्रदूषित होने से ब्लैक कार्बन के कारण बर्फ तेजी से पिघल रही है. पहाड़, पर्यावरण, वनस्पति और और ग्लेशियर्स को बचाने के लिए सामूहिक कदम उठाने की जरूरत है. ये घटना अभी से सबक लेने के लिए काफी है, इस विषय पर गहनता से सोचने की जरूरत है.


ये भी पढ़ें: UP Politics: 'दुष्ट औरंगजेब चालबाज था, शिवाजी महाराज ने दी थी चुनौती'- सीएम योगी