UP News: लोकसभा चुनाव में बेटे अरविंद राजभर की हार के बाद ओम प्रकाश राजभर ने बड़ा कदम उठाया है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने बीते दिनों ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी, जिसमें पार्टी के तमाम पदाधिकारी शामिल हुए. इस दौरान सुभासपा प्रमुख ने हैरान करने वाला कदम उठाते हुए अपनी पार्टी की चुनाव चिन्ह ही बदल दिया. सुभासपा ने अपने छड़ी की जगह अब चाबी को चुनाव चिन्ह बनाया है. जिसके बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. 


ओम प्रकाश राजभर के इस कदम को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. आमतौर पर ऐसा बहुत कम ही होता है जब कोई पार्टी अपना चुनाव चिन्ह बदलती है. तो फिर राजभर ने किस वजह से अचानक पार्टी का चुनाव चिन्ह बदला? ऐसी उनकी क्या मजबूरी थी. 


राजभर ने क्यों बदला पार्टी की चुनाव चिन्ह?
ओम प्रकाश राजभर के इस कदम के पीछे घोसी सीट पर उनके बेटे अरविंद राजभर की हार को बड़ी वजह बताया जा रहा है. इस सीट पर उन्हें सपा के राजीव राय से हार का सामना करना पड़ा है. चुनाव समीक्षा के दौरान बड़ी बात  सामने आई है. माना जा रहा है कि इस सीट पर उनके बेटे के साथ चुनाव चिन्ह की वजह से ही बड़ा खेल हो गया. यहां एक निर्दलीय प्रत्याशी को हॉकी चुनाव चिन्ह दिया गया था जबकि उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह छड़ी है. ऐसे में उनके समर्थन हॉकी और छड़ी के अंतर को समझ नहीं पाए और बड़ी संख्या में वोट दूसरी तरफ चला गया. 


दरअसल घोसी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार लीलावती राजभर ने मूल निवासी समाज पार्टी से नामांकन पत्र भरा था. उन्हें हॉकी चुनाव चिन्ह मिला था. नतीजे सामने आए तो पता चला कि लीलावती को क़रीब 50 हजार वोट मिले. दावा है कि छड़ी और हॉकी स्टिक में कन्फ्यूजन होने की वजह से बड़ी संख्या में सुभासपा के वोट लीलावती के पक्ष में चले गए, क्योंकि दोनों ही लगभग एक जैसे दिखाई देते हैं. 


छड़ी की जगह चाबी बनाया चुनाव चिन्ह
सुभासपा का मानना है कि उनका वोट कटने की वजह से सपा के राजीव राय को इतने बड़े अंतर से जीत मिली. पार्टी में भी पिछले काफी समय से इसकी माँग की जा रही थी. पार्टी नेताओं का भी मानना है उनके विरोधी चुनाव में इसका जमकर फायदा उठा रहे थे, जहां भी सुभासपा का उम्मीदवार चुनाव लड़ता है विरोधी वहां से हॉकी स्टिक के चुनाव चिन्ह से डमी कैंडिडेट लड़ा रहे थे. इससे पार्टी की मेहनत खराब हो रही थी. 


ओम प्रकाश राजभर ने अब छड़ी चुनाव चिन्ह को बदलकर चाबी कर लिया है. चाबी एक ऐसा चुनाव चिन्ह है जिसका दूसरा विकल्प नहीं दिखता है. वहीं वो इसे सत्ता की चाबी के तौर पर प्रचारित कर रहे हैं.  


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