दो बार CM योगी से मुलाकात, डिप्टी सीएम ने बताया 'स्थायी मित्र', फिर भी BJP के साथ क्यों नहीं बन रही ओम प्रकाश राजभर की बात?
सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) के बीजेपी (BJP) के साथ गठबंधन के कसयास काफी लंबे वक्त से चल रहे हैं. लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिसकी वजह से अब तक गठबंधन नहीं हो सका है.
UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) लगातार चर्चाओं में बने हुए हैं. बीते दिनों ही उन्होंने पूरे राज्य में सावधान यात्रा निकाली थी. इस दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर जमकर जुबानी हमले बोले थे. वहीं दूसरी ओर सीएम योगी आदित्यानाथ (Yogi Adityanath) की तारीफ की थी. इसके अलावा कुछ ऐसे राजनीतिक घटनाक्रम रहे जिसकी वजह से कहा जाने लगा कि ओपी राजभर बीजेपी (BJP) के साथ गठबंधन कर सकते हैं.
हालांकि लंबे समय से चल रही इस चर्चा पर अब तक कोई फैसला न तो बीजेपी के ओर से आया और न ही सुभसपा के ओर से. इसकी कई वजहें नजर आ रही हैं. हालांकि सपा से अलग होने के बाद सुभासपा प्रमुख दो बार सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर चुके हैं और कई मौकों पर उनकी जमकर तारीफ की. बात यहीं खत्म नहीं होती राष्ट्रपति चुनाव में भी वे बीजेपी गठंबधन यानी एनडीए के साथ गए.
डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष ने दिए संकेत
इसके बाद दो बार सुभासपा प्रमुख डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के साथ भी दिखे. वहीं डिप्टी सीएम से जब ओम प्रकाश राजभर को लेकर सवाल हुआ तो ब्रजेश पाठक ने उन्हें अपना स्थायी मित्र बता दिया. वहीं करीब एक हफ्ते पहले ही दोनों के बीच फिर लखनऊ में मुलाकात हुई. बता यहीं खत्म नहीं होती है, इसके बाद यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने ओम प्रकाश राजभर को पुराना साथी बताते हुए कहा, "साथ चुनाव भी लड़े हैं और सरकार में भी मंत्री भी रहे हैं. बीजेपी के लिए कोई अछूत नहीं है."
हालांकि राजनीतिक पंडितों की माने तो ओम प्रकाश राजभर के बीजेपी में शामिल होने में कई बाधाएं हैं. सबसे बड़ी बात है कि योगी सरकार में मंत्री और बीजेपी विधायक अनिल राजभर लगातार सुभासपा प्रमुख के खिलाफ खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर बीजेपी के साथ आने पर लोकसभा चुनाव में दोनों के बीच सीटों की अपनी मांग पहले तय करनी होगी. जबकि अगर वे बीजेपी के साथ आते हैं तो दोनों ओर से चल रही बेलगाम बयानबाजी पर लगाम लगाना भी एक बड़ी चुनौती होगी.