UP Politics: रामचरितमानस विवाद को लेकर ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव को घेरा, पूछे ये बड़े सवाल
Swami Prasad Maurya: सुभासपा नेता ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि आज सपा चुप है, मतलब सपा उनके बयान के समर्थन में है. अगर ऐसा नहीं है तो जो कार्रवाई राम लोटन निषाद पर हुई क्या वो मौर्य पर भी होगी.
Ramcharitmanas Controversy: स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के रामचरित मानस पर दिए विवादित बयान पर सुभासपा (SBSP) अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर (Om Prakasha Rajbhar) ने तीखा प्रहार किया है. राजभर ने कहा कि उन्हें मौर्य के बयान पर हंसी आती है. क्या उन्होंने रामचरित मानस (Ramchartimanas) पूरा पढ़ा है? ये कब की कहानी है, किसने कहा है ये भी जानकारी होनी चाहिए. राजभर ने सपा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब पिछड़ा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष बनाए गए राम लोटन निषाद ने इसी तरह का बयान दिया था तो उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था.
ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि रामचरित मानस से लाखों-करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. आज सपा चुप है, मतलब सपा उनके बयान के समर्थन में है कि उनका बयान सही है. अगर समर्थन में नहीं है तो जो राम लोटन निषाद के साथ कार्रवाई हुई, वही इनके साथ भी कार्रवाई हो. उन्होंने कहा विनाश काले विपरीत बुद्धि, ये सपा के बुरे दिन हैं. जो भी बयान आ रहे हैं वो सपा को पतन की ओर ले जाने के लिए आ रहे हैं.
राजभर ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर बोला हमला
ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि स्वामी प्रसाद अपनी बिटिया को अभी उसी राम दरबार (भाजपा) में रखे हैं, उनकी बेटी अभी भगवान राम के दरबार में सांसद है. पहले अपनी बिटिया को समझाएं, ऐसे बयान देकर विवाद ना खड़ा करें, पहले उनका इस्तीफा दिलवा दें. बीजेपी का मतलब भगवान राम के नाम पर, स्वामी प्रसाद जब भाजपा के साथ गए तो वहां भगवान राम के नाम पर ही वोट मांगे. हमने भी देखा कि वो हेलीकॉप्टर में घूम-घूम भाषण दे रहे थे, तब तो ये भगवान राम के समर्थन में थे. अगर समर्थन में नहीं होते तो क्या बीजेपी में मंत्री बनते. क्या बीजेपी उन्हें टिकट देती.
चर्चा में रहने के लिए दिया बयान
राजभर ने कहा कि बीजेपी में जब वो थे उस समय वो रामम शरणम गच्छामि थे. राम की शरण में जाकर 5 साल तक मलाई काटी. स्वामी प्रसाद मौर्य जब सत्ता में थे बसपा में 4 बार तब ये याद नही आया. जब देखा बसपा में राजनीतिक मलाई नहीं मिलने वाली तो राम के दरबार (भाजपा) में चले गए. 5 साल मलाई खाई फिर सपा के दरबार चले गए मलाई खाने. सपा की सरकार नहीं बनी, अब कोई पूछने वाला नहीं हैं तो चर्चा में बने रहने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं. जब सत्ता में थे तब क्या दलित और पिछड़ों की याद आई.
स्वामी प्रसाद ने सपा ज्वाइन की, सपा ने टिकट दिया, लेकिन चुनाव हारने के बाद समझ जाना चाहिए था कि वो कितनी बड़ी ताकत है. पार्टी के तमाम पुराने दिग्गज नेता जो खून पसीना एक कर पार्टी को आगे बढ़ाने में लगे रहते हैं उनके साथ अन्याय हुआ. जो सपा के खिलाफ बोलते थे कभी, बाहर से लाकर के सपा ने एमएलसी बना दिया. सपा ने इसीलिए एमएलसी बना दिया कि जाओ जितना रामचरितमानस के खिलाफ बोलना है बोलो. सपा पतन की ओर जा रही है. जैसे लंका का नाश हुआ वैसे ही सपा को खत्म करने के लिए ये बयान है.