UP News: '...तो हम किस खेत की मूली है', जब 2024 में गठबंधन के सवाल पर बोले ओपी राजभर
UP News: सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर प्रदेश में चल रही सावधान यात्रा को लेकर एबीपी गंगा से बात की. उन्होंने कहा कि इतना जोश पहले कभी नहीं देखा गया जो इस बार सावधान रथयात्रा को मिल रहा है.
Om Prakash Rajbhar News: लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Election 2024) को देखते हुए सुहेलदेव समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) इन दिनों प्रदेश में सावधान यात्रा (Savdhan Yatra) निकाल रहे हैं. इसी कड़ी में एबीपी गंगा की सुभासपा अध्यक्ष से बातचीत हुई जहां उन्होंने अपना सावधान यात्रा को बेहद सफल बताया और कहा कि पार्टी को 20 साल पूरे होने जा रहा है लेकिन इतना जोश पहले कभी नहीं देखा गया जो इस बार सावधान रथयात्रा को मिल रहा है. राजभर ने कहा कि वो इस यात्रा के दौरान अब तक 17 जिलों में 9 बड़ी सभाएं कर चुके हैं.
सावधान यात्रा को लेकर क्या बोले राजभर
राजभर ने कहा कि हम बिहार में 2004 से विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ते आ रहे हैं. पिछले चुनाव में हम सब ने मिलकर एक मोर्चा बनाया. उसमें भी हम शामिल थे. अगर हमारा जनाधार ना होता तो हमसे समझौता क्यों होता. हम वहां चुनाव लड़ते हैं, लेकिन इस समय चर्चा इसलिए अधिक हो रही क्योंकि बीजेपी से छोड़कर नीतीश कुमार आरजेडी के साथ आए हैं. 27 अक्टूबर को पटना में हमारा कार्यक्रम है जिसे लेकर टीम लगी हुई है. अभी 14 अक्टूबर को कटिहार में हम बड़ी सभा करेंगे. लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि अपने हक के लिए लड़े. हम सावधान यात्रा निकालकर लोगों को सावधान कर रहे हैं कि आंख मूंदकर वोट ना दें, चाहे हम आए या कोई और उनसे सवाल करिए कि आप हमारे लिए क्या करते हैं, सदन में हमारे लिए क्या लड़ते हैं.
गठबंधन को लेकर कही दी बड़ी बात
2024 के चुनाव लड़ने पर राजभर ने कहा कि देश और प्रदेश की सरकार गठबंधन से बन रही है. जब बीजेपी अकेले सरकार नहीं बना पा रही, कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी नहीं बना पा रही तो हम किस खेत की मूली है. 2024 का चुनाव आएगा तो जो पार्टी के नेताओं का फैसला होगा देखा जाएगा. उन्होंने कहा कि राजनीति में न कोई दोस्त है न दुश्मन. बसपा-सपा में छत्तीस का आंकड़ा था एक हो गए. नीतीश कुमार ने कहा था राजनीति से संन्यास ले लेंगे लेकिन बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे और फिर उन्ही ने साथ सरकार बनाई. उन्होंने कहा लालू की पार्टी से समझौता नहीं करेंगे भले घर बैठ जाएं लेकिन आज सरकार चल रही. कश्मीर का उदाहरण देख लीजिए महबूबा मुफ्ती बीजेपी साथ. हमें भी समझ नहीं आया कि नेता कहते क्या और करते क्या हैं.
अब किसके साथ गठबंधन करेंगे राजभर
एबीपी गंगा ने जब राजभर से सवाल किया कि अब उनका दिल किसके साथ है तो उन्होंने कहा कि हमारा दिल तो जनता के साथ है. हाल में हम सीएम योगी से दो मुद्दों को लेकर मिले. भर और राजभर के आरक्षण को लेकर तो उन्होंने सहमति जताई और कहा केंद्र को प्रस्ताव भेज रहे हैं. भू माफिया के नाम पर गरीबों के मकान गिराये जाने पर हमने उनसे बात की थी, उन्होंने बात समझी. जब समय आएगा तब विचार किया जाएगा किसके साथ जाना है.
बीजेपी और सीएम योगी की कुछ समय से तारीफ करने के सवाल पर राजभर ने कहा की कि जिसने जो अच्छा काम किया है हम उसकी तारीफ करते हैं, फिर चाहे बात मायावती के 1090 चौराहे की हो या फिर रिवर फ्रंट पर अखिलेश यादव की. कांग्रेस ने भी देश में बड़े-बड़े उद्योग, फैक्ट्री लगाई. पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर चलते हैं तो सीएम योगी की तारीफ करते हैं.
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राजभर ने कहा कोई जरूरी है कि सपा या बसपा समझौता ना करें? हमने पूर्वांचल में जो ताकत पैदा की वह बढ़कर पश्चिम में भी पहुंच गई. आगरा में जहां हम जीरो थे वहां भी संगठन तैयार कर लिया, हज़ारों लोगों की रैली कर दी. हमारा संगठन लगातार बढ़ रहा है. हमारी जरूरत सपा, बसपा, कांग्रेस, बीजेपी सबको है. जो पूर्वांचल जाएगा उसको सुभासपा की महक मिलने लगेगी कि बगैर इनके यानी तेल में तड़का दिए बिना स्वाद नहीं मिल सकता.
अपना जनाधार जुटाने में लगे राजभर
यूपी और बिहार में किसके साथ जाये गए इस सवाल पर कहा की अभी तो हम रैली कर रहे, ताकत बना रहे हैं. जहां भी जाएंगे एक साथ रहेंगे. ऐसा नहीं करेंगे कि यूपी में अलग, बिहार में अलग किसी के साथ. यूपी में बीजेपी और सपा की नाराजगी की वजह से बीजेपी सत्ता में मजबूत पकड़ बना ली. बिहार में भी लालू नीतीश के आपसी लड़ाई में लोग उनसे नाराज हैं. हमने यूपी में जो लड़ाई लड़ी वह आवाज पूरे देश में फैल रही है. बिहार में भी लोग कह रहे की ओपी राजभर को हम इधर मदद करें वह अपनी लड़ाई लड़े.
राजभर ने कहा कि हमारे नेता निकाय चुनाव की तैयारी में पूरी ताकत से लगे हैं. सावधान रथयात्रा के पीछे निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव दोनों हैं. निकाय चुनाव छोटा चुनाव है, अकेले लड़ेंगे. इसमें समझौता करने पर सीटें कम मिलती हैं तो पार्टी के नेता इधर-उधर भागने लगते हैं.
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