Dehradun Incident: 2 अक्टूबर 1994 में रामपुर तिराहा गोलीकांड (Rampur Tiraha Incident) होने से आक्रोशित राज्य आंदोलनकारियों ने दूसरे दिन 3 अक्टूबर 1994 को देहरादून (Dehradun) में अपना आक्रोश दिखाते हुए रैली निकाली थी. लेकिन, निहत्थे आंदोलनकारियों पर पुलिस (Police) ने गोलियां चलाई जिसमें 2 आंदोलनकारी शहीद हुए थे. देहरादून में आज के ही दिन राजेश रावत (Rajesh Rawat) और दीपक वालिया (Deepak Walia) गोली लगने से शहीद हुए थे. आंदोलनकारियों में 2 अक्टूबर को हुए मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) के रामपुर तिराहे गोलीकांड को लेकर उबाल था, जिसके बाद उन्होंने देहरादून में रैली निकाली थी लेकिन पुलिस की बर्बरता से 2 और आंदोलनकारी शहीद हुए थे.  


क्या था पूरा मामला 
3 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर में गोलीकांड के बाद देहरादून में भी कर्फ्यू लगा दिया गया था. लेकिन, छात्रों और राज्य आंदोलनकारियों में घटना को लेकर उबाल था यही वजह थी की देहरादून में अलग-लग जगहों पर रैलियां निकाली गई. गुस्साई भीड़ ने तत्कालीन सपा नेता सूर्यकांत धस्माना के आवास का भी घेराव किया. आरोप ये है कि छत से धस्माना के अंगरक्षकों ने आंदोलनकारियों पर फायरिंग झोंक दी जिसमें राजेश रावत को गोली लगी और उनकी मौत हो गई. वहीं देहरादून के जोगीवाला में भी भीड़ में आक्रोश था वहां पर भी फायरिंग हुई और आंदोलनकारी दीपक वालिया शहीद हो गए. 


बेटे को याद करते हुए भावुक हुई शहीद राजेश रावत की मां
शहीद राजेश रावत की मां आज के दिन अपने बेटे को याद करते हुए भावुक हो उठती हैं. आनंदी रावत आज भी सरकार से गुहार लगा रही हैं कि गोलीकांड में उनके बेटे की शहादत हुई लेकिन उन्हें इंसाफ नहीं मिल पाया. राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने कहा कि आज भी हम आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड नहीं बना पाए हैं. कई गोद सूनी हुई लेकिन वो उत्तराखंड आज भी नहीं मिल पाया.



ये भी पढ़ें:   


Manish Gupta Death Case: मनीष गुप्ता मामले में SIT की टीम गोरखपुर पहुंची, होटल में सीन रिक्रिएट किया गया


Akhilesh Yadav on Mamata Banerjee: ममता बनर्जी की संभावित जीत पर अखिलेश यादव का ट्वीट, कहा- सत्यमेव जयते की रीत