One Nation One Election: वन नेशन वन इलेक्शन पर कांग्रेस के पूर्व नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने प्रतिक्रिया दी है. जानकारी के अनुसार वन नेशन वन इलेक्शन पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली कमेटी की रिपोर्ट को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. वन नेशन वन इलेक्शन संबंधी विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होने की उम्मीद है.
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि वन “नेशन” वन इलेक्शन-विपक्ष में टेंशन. इसी मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि अब जब भाजपा को पता है कि राज्यो से उनकी सरकारें की एक एक करके विदाई तय है जनता भाजपा के ख़िलाफ़ है तो वन नेशन वन इलेक्शन का जुमला भाजपा की सरकारों की आयु बढ़ाने और जनता को दर्द देने के लिए लाये है. भाजपा वन नेशन वन इलेक्शन करवाना ही चाहती थी तो 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ करा लेती तो आज उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार होती !! ख़ैर छोड़िये ये भाजपा की सहूलियत की राजनीति है चार राज्यो के चुनाव एक साथ करा नहीं पा रहे है उत्तर प्रदेश के उप चुनाव से भाग रहे है लेकिन फिर एक जुमला लाये है वन नेशन वन इलेक्शन भाजपा की राज्यो सरकारों की आयु बढ़ाने का एक प्रयास मात्र है !!
बता दें ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष पेश की गयी.केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर कोविंद पैनल की रिपोर्ट स्वीकार की. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले मार्च में रिपोर्ट सौंपी थी. मंत्रिमंडल के समक्ष रिपोर्ट पेश करना विधि मंत्रालय के 100 दिन के एजेंडे का हिस्सा है.
अभी कैसे होते हैं इलेक्शन?
उच्च स्तरीय समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी, जिसके बाद 100 दिन के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की गयी. समिति ने सिफारिशों के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए एक ‘क्रियान्वयन समूह’ गठित करने का भी प्रस्ताव दिया था. उसने कहा था कि एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों को बचाने, विकास और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देने, ‘‘लोकतंत्र की नीव’’ को मजबूत करने और भारत की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी. समिति ने भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य निर्वाचन प्राधिकारियों से विचार-विमर्श कर एक साझा मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र बनाने की भी सिफारिश की.
अभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी भारत के निर्वाचन आयोग की है जबकि नगर निगमों और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराते हैं. समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता नहीं होगी. हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी जिन्हें संसद द्वारा पारित करने की जरूरत होगी. एक मतदाता सूची और एक मतदाता पहचान पत्र के संबंध में कुछ प्रस्तावित परिवर्तनों के लिए कम से कम आधे राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होगी. इसके अलावा, विधि आयोग भी एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट जल्द ही पेश कर सकता है. (एजेंसी इनपुट के साथ)