Pulwama Attack: आतंकी हमले में उत्तराखंड के दो जवान हुए थे शहीद, ABP गंगा ने जाना शहीद के परिवार का हाल
Pulwama Attack: सबसे बड़े आतंकी हमले में उत्तराखंड के दो जवान भी शहीद हुए थे , ABP गंगा ने शहीद के परिवार का हाल जाना। इनमें एक जवान उधमसिंह नगर और दूसरे शहीद उत्तरकाशी के रहने वाले थे।
देहरादून, एबीपी गंगा। पुलवामा आतंकी हमले का एक साल पूरा हो गया है। इस आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। ये देश पर हुआ अबतक का सबसे बड़ा आतंकी हमला था। सीआरपीएफ जो 40 जवान शहीद हो गए थे, उनमें से दो जवान उत्तराखंड के थे। एक शहीद उधमसिंह नगर के वीरेंद्र सिंह राणा और दूसरे शहीद मोहन लाल रतूड़ी मूल रूप से उत्तरकाशी के रहने वाले थे, लेकिन कई वर्षों से बच्चों की पढ़ाई की खातिर देहरादून में रह रहे थे। पुलवामा हमले की पहली बरसी पर एबीपी गंगा ने जाना शहीद मोहनलाल रतूड़ी के परिवार का हाल।
शहीद मोहनलाल रतूड़ी की सबसे बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है, उनका बड़ा बेटा शंकर उत्तरकाशी में सरकारी नौकरी करता है। दूसरे नंबर की बेटी वैष्णवी अभी पढ़ाई कर रही है और सबसे छोटी बेटी मेडिकल की पढ़ाई कर रही है और सबसे छोटा बेटा अभी 10वीं में पढ़ाई कर रहा है। मोहनलाल रतूड़ी की पत्नी सरीता देवी देहरादून में अपने बच्चों के साथ किराये के मकान में रहती हैं। सरीता देवी कहती हैं कि उन्हें गर्व है कि उनके पति देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए। उन्होंने अपने पति को याद करते हुए कहा कि उनका सपना था कि वो अपना घर खरीदें, लेकिन ये सपना अधूरा रह गया। मोहन लाल रतूड़ी की पत्नी सरीता देवी कहती हैं कि आतंकवादियों को उनके करे की सज़ा मिलनी चाहिए, जो जवान आज सरहदों पर तैनात हैं, उन्हें अपने देश के खातिर आतंकवाद से ज़रूर लड़ना चाहिए।
मोहनलाल रतूड़ी के परिवार के साथ कई सालों से रह रहे उनके पड़ोसी बताते हैं कि वो बेहद मिलनसार और धार्मिक प्रवृति के इंसान थे। जब भी वे घर आते थे, तो सभी लोगों से मिलना-जुलना उनका बहुत अच्छा था। शहीद रतूड़ी की पड़ोसी सुनीता पांडे बताती हैं कि जब मोहनलाल रतूड़ी घर आये थे तो उन्होंने कहा थी की बच्चों की पढ़ाई देहरादून से ही करायेंगे और उन्होंने एक घर भी अपने परिवार के लिए देखा था, जिसे वो खरीदना चाहते थे, लेकिन उनका ये सपना अधूरा ही रह गया।
बता दें कि पुलवामा हमले में शहीद हुए सभी जवानों के घरों से मिट्टी ली जा रही है, जिससे पुलवामा में शहीद स्मारक बनाया जायेगा। शहीद मोहनलाल रतूड़ी के मूल गांव उत्तरकाशी से भी सीआरपीएफ ने मिट्टी इक्कठी करवाई है, जिसे पुलवामा पहुंचाया जायेगा। पुलवामा में 14 फरवरी के बाद से शहीद जवानों के नाम स्मारक बनाया जायेगा।
14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को आज भी देश भूल नही पाया है। इस आतंकी हमले में भारत ने जंहा देश के 40 वीर सीआरपीएफ जवानों को खोया था। वहीं, इन शहीद जवानों में उत्तराखण्ड के उधम सिंह नगर जिले के खटीमा निवासी शहीद वीरेंद्र सिंह राणा भी थे। जो कि इस आतंकी हमले में शहीद हो गए। इस आतंकी हमले ने शहीद वीरेंद्र के परिवार से बहुत कुछ एक झटके में छीन लिया था। जहां वीरेंद्र की शहादत से परिवार का जवान बेटा उनसे छीन गया। वहीं, शहीद के पांच साल की बेटी व ढाई साल के बेटे के सिर से पिता का साया उठ गया।
इन एक सालों ने वीरेंद्र की शहादत के बाद परिवार ने खुद को संभालने की कोशिश की है। वीरेंद्र की पत्नी रेनू राणा को उत्तराखण्ड सरकार की तरफ से तहसील खटीमा में चतुर्थ श्रेणी पद पर नौकरी मिली है। जहां पर नौकरी कर शहीद की पत्नी अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही है। शहीद वीरेंद्र की याद में जहां आज भी एक साल बाद शहीद की पत्नी रेनू सुबक उठती है। वहीं अपने पति की शहादत पर गर्व कर उनकी कमी को आज भी बेहद महसूस करने की बात कहती है, लेकिन इस सबके बावजूद इस वीर वीरांगना का दिल तब छलनी हो जाता है जब उसके मासूम बच्चे अपने पिता के घर कब आने का सवाल पूछते हैं।
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