लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बीते 10 दिनों में जहरीली शराब पीने से लगभग 15 लोगों की अलग-अलग जिलों में मौत हो गई. हाल ही में प्रयागराज में जहरीली शराब पीने से 6 लोगों की जान चली गई. लगातार प्रदेश में जहरीली शराब से हो रही मौतों को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा है तो वहीं बीजेपी का कहना है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.


जारी है मौत का सिलसिला
दीपावली से ठीक एक दिन पहले राजधानी लखनऊ के बंथरा इलाके में जहरीली शराब पीने से 6 लोगों की मौत हो गई थी. जहरीली शराब से हुई मौतों का ये सिलसिला जो तब शुरू हुआ वो अभी तक बदस्तूर जारी है. लखनऊ के बाद फिरोजाबाद में और अब प्रयागराज में भी जहरीली शराब ने कई घरों को तबाह कर दिया है. यहां भी 6 लोगों की इस जहर के प्याले ने जान ले ली.


यूपी में जारी है सियासत
लगातार हो रही मौतों को लेकर यूपी की सियासत भी गरमा गई है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सरकार पर जहरीली शराब को लेकर निशाना साध रहे हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट करके सरकार से सवाल पूछा है तो वहीं समाजवादी पार्टी का कहना है कि सरकार एक तरफ तो माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की बात कहती है और दूसरी तरफ शराब माफिया जहरीली शराब बना रहे हैं, बेच रहे हैं. सरकार कार्रवाई करने से ज्यादा उसका प्रचार करती है.


एक को भी नहीं हुई फांसी की सजा
लगातार हो रही मौतों पर सरकार के अफसर भी अब जागे हैं और ऐसे लोगों के खिलाफ अब उनकी संपत्ति कुर्क करने की तैयारी की बात कही जा रही है. लेकिन, सत्ता में आने के साथ ही बीजेपी ने कैबिनेट में प्रस्ताव पास कर जहरीली शराब से होने वाली मौतों की सजा के प्रावधान को बदलते हुए फांसी की सजा का प्रावधान किया था. हालांकि, पिछले साढे 3 वर्षों में जहरीली शराब से मौतें तो कई हुईं लेकिन फांसी की सजा एक को भी नहीं हुई.


न्यायालय पर कोई वश नहीं
इसे लेकर जब बीजेपी नेताओं से सवाल किया गया तो उनका साफ तौर पर कहना था कि सरकार का न्यायालय पर कोई वश नहीं है और वैसे भी इस साल कोरोना काल के चलते अदालतें कई बार नहीं बैठीं. अदालतों में भी तमाम मामले पहले से पेंडिंग है ऐसे में कई बार इस तरह के अपराधियों को सजा मिलने में थोड़ा वक्त लग जाता है.


व्यवस्था पर सवाल
एक तरफ तो ये शराब सरकार का खजाना भरने में सबसे अव्वल साबित हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ जहरीली शराब परिवारों की खुशियां भी छीन रही है. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि लखनऊ और प्रयागराज के मामलों में ये जहरीली शराब सरकारी ठेके से बेची गई. सवाल अब व्यवस्था को लेकर भी उठ रहा है कि आखिर सरकारी ठेके से जहरीली शराब कैसे और क्यों बिक रही थी.



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