पीएम मोदी से जुड़ी दस बड़ी बातें, विरोधियों ने भी माना जिनका लोहा
मोदी के करिश्माई नेतृत्व में भाजपा ने एक बार फिर दमदार वापसी की है। यही नहीं यह जीत 2014 से भी ज्यादा बड़ी है। अकेले दमपर पार्टी ने इस बार 300 से ज्यादा सीटें जीतीं।
नई दिल्ली, एबीपी गंगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने प्रचंड बहुमत के साथ ऐतिहासिक जीत हासिल की है। चुनाव से पहले भी बीजेपी की जीत के अनुमान लगाए जा रहे थे। पीएम मोदी का करिश्माई नेतृत्व भी लोगों को पसंद आया और नतीजों की घोषणा के साथ ही यह भी साफ हो गया कि जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को एक बार फिर मौका दिया है। इस चुनाव में कई ऐसे मुद्दे थे जिन्हें बीजेपी ने जनता के सामने रखा और भरपूर साथ मिला। चुनावी इतिहास में यह पहली बार है जब बीजेपी को इतनी दिव्य और भव्य जीत मिली है...तो चलिए जानते हैं, पीएम मोदी और चुनावी मुद्दों के बारे में जो पूरे चुनाव में हावी रहे।
वंशवाद का सफाया लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने वंशवाद को बड़ा मुद्दा बनाया और जनता ने कई परिवारों की राजनीतिक विरासत को खत्म करने का काम किया। सबसे बड़ा झटका कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अमेठी सीट खोकर चुकाना पड़ा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा, यूपी का यादव परिवार, सिंधिया घराने सभी को करारी शिकस्त का मुंह देखना पड़ा है। चुनाव में पीएम मोदी की अपील और परिवारवाद की सियासत पर किए गए उनके हमलों को जनता ने खूब पसंद किया। नतीजा ये हुआ कि पूरा सियासी खेल खेल बदल गया और पीएम मोदी वंशवाद की सियासत को चोट पहुंचान में कामयाब रहे।
राष्ट्रवाद को बनाया बड़ा मुद्दा बीजेपी राष्ट्रवादी पार्टी है। पीएम मोदी इस नरेटिव को जनता के बीच ले जाने में सफल रहे। बीजेपी ने जहां खुद को राष्ट्रवादी चेहरे को तौर पर पेश किया तो वहीं, विपक्ष के पास इसका कोई जवाब नहीं था। कहीं न कहीं विपक्षी दल इस मुद्दे पर 'सॉफ्ट कॉर्नर' अपनाते दिखते हैं। बीजेपी के नेताओं की बात करें तो नरेंद्र मोदी इस मुद्दे के प्रखर वक्ता माने जाते हैं क्योंकि उनके बयानों और भाषणों में इस बात पर ज्यादा जोर होता है कि पहले राष्ट्र और बाद में पार्टी या परिवार। पीएम मोदी ने अपने भाषणों में राष्ट्रवाद को जमकर उल्लेख किया जिसका जवाब विपक्षी दे ही नहीं पाए। अब नतीजों से भी ये साफ हो गया है कि मोदी के राष्ट्रवाद ने विरोधियों पर ब्रह्मास्त्र से भी घातक वार किया है।
आतंकवाद पर बड़ा प्रहार आतंकवाद के खिलाफ पीएम मोदी ने अपनी सरकार की सोच और स्थिति पहले ही साफ कर दी थी। वैसे भी आतंकवाद का नाम लेते ही पाकिस्तान सामने आ जाता है। कहना गलत नहीं होगा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पाकिस्तान को हर मोर्चे पर अलग-थलग कर उसे जता दिया कि वार्ता और आतंकवाद दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते। हालात यहां तक पहुंच गए कि भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी हरकतों का मुहतोड़ जवाब दिया और पूरे विश्व ने भी पाकिस्तान को ही लताड़ लगाई। प्रधानमंत्री अपने भाषणों में भी बोलते रहे कि भारत पाकिस्तान न सिर्फ दक्षिण एशिया की शांति के लिए खतरा है बल्कि समग्र दुनिया इसके हिंसक रडार पर है। पीएम की ये बात भी लोगों के दिलों में घर कर गई और चुनाव में वोट भी जमकर बरसे।
स्वच्छता अभियान बना बड़ा मुद्दा क्या कोई सोच सकता है कि स्वच्छता अभियान भी कभी चुनावी मुद्दा हो सकता है। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने स्वच्छता अभियान को खूब भुनाया। प्रधानमंत्री ने अपने हर भाषण में इसका जिक्र किया और बताया कि उनकी सरकार कैसे बाकी सरकारों से अलग है। उन्होंने लोगों के बताया कि गंदगी का असर हमारे आस पड़ोस तक ही नहीं पड़ता बल्कि दुनिया में भी इससे देश की छवि धूमिल होती है। पीएम ने खुले में शौच से मुक्त भारत बनाने का वादा किया। इसके लिए शौचालय निर्माण के अभियान चलाए गए। प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में इस अभियान को शत-प्रतिशत सफल बनाने का दावा किया और इसे महिलाओं की अस्मिता से भी जोड़ा। लोगों को पीएम मोदी की ये बात पसंद आई और नतीजे भी शानदार रहे।
बंगाल में बीजेपी की एंट्री बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में कमाल का प्रदर्शन किया है। ये पीएम मोदी की रैलियों का ही असर था कि पश्चिम बंगाल की जनता ने बीजेपी को पलकों पर बिठाया। बीजेपी ने ममता बनर्जी को न सिर्फ कड़ी टक्कर दी बल्कि बंगाल में एक बड़ी ताकत बनकर उभरी है। चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल की सियासत पर पीएम मोदी ने तीखे लार किए और जनता तक अपनी बात पहुंचाई। जनता ने भी पीएम मोदी का समर्थन कर संकेत दे दिया है कि मोदी बंगाव में विजयी रहे हैं।
नहीं लगा दाग बीजेपी और नरेंद्र मोदी के लिए भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा रहा। नरेंद्र मोदी हमेशा कहते रहे कि पूर्व की सरकारों से उनकी सरकार भिन्न रही क्योंकि किसी भी मंत्री या नेता पर रत्ती भर अनियमितता का आरोप नहीं लगा। नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में कांग्रेस के कई भ्रष्टाचारों का जिक्र करते हैं जिसमें बोफोर्स, 2जी से लेकर कॉमनवेल्थ घोटाले तक की बात शामिल रही। चुनाव प्रचार के अंत में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को 'भ्रष्टाचारी नंबर-1' तक कह दिया जिस पर काफी हंगामा हुआ। हालांकि कांग्रेस ने बोफोर्स के जवाब में राफेल सौदे का मुद्दा उठाया और अपने प्रचार के मुख्य बिंदु के तौर पर पेश किया। राहुल गांधी ने 'चौकीदार चोर है' का नारा दिया और इसी के इर्द-गिर्द वो नरेंद्र मोदी सरकार को 'भ्रष्ट' बताते रहे। राहुल गांधी के 'चौकीदार' को नरेंद्र मोदी ने सुअवसर के तौर पर लिया और इसके जवाब में उन्होंने 'मैं भी हूं चौकीदार' अभियान चलाया। बीजेपी के मुताबिक यह अभियान कामयाब रहा जिसका फायदा उसे वोट के रूप में मिला।
पीएम मोदी ने बनाई खास रणनीति कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को करारी शिकस्त मिली है। बीजेपी की प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को से अमेठी का किला छीन लिया है। बीजेपी और पीएम मोदी की रणनीति कांग्रेस के किले में घुसकर वार करनमे की थी जो पूरी तरह से कामयाब रही। अमेठी में स्मृति ईरानी के समर्थन में जनसभा करते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस पर तीखे हमले किए थे जिसका असर भी देखने के मिला। जनता ने पीएम मोदी के काम को सराहा और अमेठी को बीजेपी की झोली में डाल दिया।
हिट रहा सुशासन का फॉर्मूला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुशासन का नारा दिया। 17 मई एक रैली को संबोधित करते हुए को प्रधानमंत्री ने कहा था कि, मुझे प्रसन्नता है कि देश की जनता राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा, अंत्योदय के दर्शन और सुशासन के मंत्र को लेकर चल रही और बीजेपी के प्रति अपना विश्वास प्रकट कर रही है। सुशासन के मुद्दे को प्रधानमंत्री ने अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन से जोड़ा और 25 दिसबंर को सुशासन दिवस मनाने की रवायत शुरू की। पीएम मोदी की ये बातें जनता को पसंद आईं और अब नतीजे देश के सामने हैं, जो सबसे बड़ी गवाही दे रहे हैं।
विकास के कार्यों को जनता तक पहुंचाया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैलियों में अपनी सरकार के विकास कार्यों को जनता के सामने रखा। चर्चित योजना 'आयुष्मान भारत' का हवाला देकर विपक्षी दलों को घेरते रहे। मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में जहां बीजेपी की सरकार सरकार नहीं थी वहां इस योजना को वहां की सरकारों ने लागू करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इससे विपक्षी दलों को खासा नुकसान हुआ है। वहीं, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस योजना को लेकर विपक्षी दलों के रवैये पर सवाल उठाते रहे जिससे जनता में विपक्ष के प्रति गलत धारणा बनी। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क निर्माण के कार्यों को जनता के बीच ले जाने में पूरी तरह सफल रहे।
करिश्माई नेतृत्व ये पीएम मोदी का ही करिश्माई नेतृत्व था कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कश्मीर, सिक्किम, ओडिशा, मणिपुर, हिमाचल, हरियाणा, बिहार, आंध्र प्रदेश आदि में कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ। कांग्रेस तीन विधानसभा चुनावों में मिली जीत को बरकरार नहीं रख सकी और नतीजा यह हुआ कि उसे राजस्थान और मध्य प्रदेश में करारी हार का मुंह देखना पड़ा। स्थिति यह रही है कि अब कुछ राज्यों में कांग्रेस हाशिए पर आ गई है या फिर एक-दो सीट पर सिमट गई है। ओडिशा में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है. यह भी 'मोदी मैजिक' का कमाल है।