लखनऊ. सत्ता में आने के साथ ही बीजेपी ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी अपनाई. पिछली सरकारों में जो गड़बड़ियां हुई थी उनके तमाम कामों के जांच के आदेश दिए गए. इसमें पूर्वांचल के 13 जिलों में राजकीय निर्माण निगम के 130 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स में गड़बड़ियों का भी मामला था जिसमें पहले एसआईटी का गठन किया गया और अब एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है. विपक्ष कह रहा है कि अब प्रदेश में उपचुनाव आ रहे हैं इसलिए इस रिपोर्ट के बहाने जनता को बरगलाने की कोशिश हो रही है, तो बीजेपी कह रही है कि योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू से कड़ा रुख अपना रही है इस मामले में भी ऐसा ही होगा.
सपा-बसपा के शासन में घोटालों की जांच
सत्ता पर काबिज होने के साथ ही बीजेपी ने पिछली सरकारों में हुए भ्रष्टाचार की जांच के तमाम आदेश दिए. बसपा और सपा शासनकाल में पूर्वांचल के कई जिलों में राजकीय निर्माण निगम ने 137 प्रोजेक्ट जो तैयार किए थे, उसमें भी 1000 करोड़ की गड़बड़ियों की शिकायत सरकार के पास पहुंची थी. जिसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. एसआईटी ने तमाम जिलों में जांच पड़ताल की और अब अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट में कई जगह गड़बड़ी की बात सामने आई है और इसमें एफआईआर दर्ज कर विवेचना करने की भी मंजूरी एसआईटी ने मांगी है. आइए आपको बताते हैं कि आखिर कहां-कहां गड़बड़ियां हुई थी.
अलग-अलग जिलों में हुये थे विकास कार्य
साल 2006 से 2012 के बीच जब सपा और बसपा का शासनकाल था, तब वाराणसी, प्रयागराज, भदोही, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सोनभद्र, चंदौली, मिर्जापुर, आजमगढ़, जौनपुर, प्रतापगढ़ और श्रावस्ती में पीडब्ल्यूडी के अधीन काम करने वाली संस्था राजकीय निर्माण निगम ने इन जिलों में जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, थाना, जेल और पुलिस लाइन आदि का निर्माण कराया था, जिसपर लगभग 1000 करोड़ का खर्च आया था.
विपक्ष हमलावर
एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. इस पर विपक्षी दल सरकार पर निशाना साध रहे हैं. समाजवादी पार्टी का कहना है कि जब प्रदेश में उपचुनाव आ गया है तब सरकार यह नहीं बता रही है कि उसके शासन काल में जो भ्रष्टाचार हुए हैं उस पर क्या कार्रवाई की गई है. बल्कि पिछली सरकारों के कामकाज पर एसआईटी की रिपोर्ट के सहारे जनता को बरगलाने का काम कर रही है. वहीं, कांग्रेस का कहना है कि लगातार इस सरकार में तमाम गड़बड़ियों पर जांच कमेटी बनाई गई लेकिन बड़ी मछलियों पर किसी ने हाथ नहीं डाला और इस मामले में भी ऐसा ही होगा बड़े अफसर बच जाएंगे.
हालांकि विपक्ष के इन आरोपों पर सरकार के मंत्री कह रहे हैं कि जो ऐसा आरोप लगा रहे हैं उन्हें शायद सरकार के कामकाज का तरीका पता नहीं है. सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी पर काम कर रही है. लगातार भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है और इस मामले में भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी. वो कह रहे हैं कि बीजेपी चुनाव को देखते हुए कोई फैसला नहीं लेती है बल्कि जनता के हितों को देखते हुए फैसले लेती है.
जांच समिति गठित की गई
बीजेपी सरकार ने पिछली सरकारों के तमाम काम पर जांच समिति गठित की. कई मामलों में जांच समितियों ने अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंपी. कुछ में कार्रवाई हुई तो कुछ भी कार्रवाई होनी बाकी है. अब उत्तर प्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव होने हैं और एसआईटी की जांच रिपोर्ट की टाइमिंग पर विपक्ष भले ही सवाल खड़े कर रहा हो लेकिन जिस तरह से भ्रष्टाचार पर सरकार ने एक्शन लिया है उससे इतना तो तय है कि जब जनता के बीच पार्टी के नेता वोट मांगने जाएंगे तो इसे अपनी एक उपलब्धि के तौर पर पेश जरूर करेंगे.
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