सोनभद्र, संतोष कुमार सोनी. उत्तर प्रदेश में आपदा को अवसर मे बदल कर करोड़ो का भ्रष्टाचार करने का मामला सामने आया है. कोविड 19 जैसी वैश्विक महामारी को सूबे की योगी सरकार के नौकरशाहों ने भ्रष्टाचार का अवसर बना लिया है. हम बात कर रहे हैं सोनभद्र जिले की, जहां पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर की खरीद में बड़ा घोटला सामने आया है.


जिला पंचायत राज विभाग, शासन के निर्देशों को दरकिनार करते हुए डोर टू डोर कोरोना जांच के लिए पल्स ऑक्सीमीटर व थर्मामीटर की खरीद ग्राम पंचायत स्तर पर न करके जिला स्तर पर की गई. इतना ही नही खरीद में शासन द्वारा निर्धारित 2800 रुपये से दोगुने से भी ज्यादा मूल्य यानी 6000 रुपये में 637 ग्राम पंचायतों के लिए एक ही मेडिकल एजेंसी से बगैर किसी टेंडर प्रक्रिया के ऑक्सीमीटर मीटर और थर्मामीटर खरीदे गए.


तत्कालीन डीपीआरओ और सीडीओ ने की खरीददारी
ये खरीद तत्कलीन डीपीआरओ और सीडीओ ने की है. वहीं, जिला पंचायत राज अधिकारी का कहना है कि यह खरीद उनके पूर्व के अधिकारी द्वारा की गई है. मामला संज्ञान में आने के बाद पत्र के माध्यम से निदेशालय को अवगत कराया गया था. उन्होंने बताया कि मामले की जांच उप निदेशक पंचायत विंध्याचल मण्डल के द्वारा की जा रही है.


ये भी पता चला है कि जिले की सभी 637 ग्राम पंचायतों को मेडिकल एजेंसी का बकायदा बिल भी अधिकारियो ने ग्राम पंचायतो में देने का जिम्मा सहायक पंचायत अधिकारी व ग्राम पंचायत अधिकारी को दे दिया. इसके लिए जिला पंचायत राज विभाग ने आठों ब्लाकों के सहायक पंचायत अधिकारियों को पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर रिसीव भी करा दिया.


ग्राम प्रधानों का कहना है कि पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर की खरीद ग्राम पंचायत ने नहीं की है. अधिकारियों ने 6 हजार रुपये के हिसाब से इसकी खरीद कर ग्राम पंचायतो को भेज दी है. भुगतान के लिए अधिकारियों द्वारा दबाव भी बनाया जा रहा है. कई ग्राम पंचायतों ने भुगतान कर भी दिय, लेकिन मामला उजागर होने पर कुछ ग्राम पंचायतों ने इसका भुगतान नहीं किया.


कितने का हुआ घोटाला?
आपको बताते हैं कि ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर की खरीद के जरिए कितने रुपये का घोटाला हुआ है.
2800 × 637 = 17,83,600 लाख शासन का निर्धारित मूल्य
6000 × 637 = 38,22,000 लाख जिले के अधिकारियो द्वारा खरीद का मूल्य
इस तरह से इसमें 20,38,400 रुपये का घोटाला किया गया.


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