83 वर्ष की उम्र में लोकगायकी के 'हीरे' ने दुनिया को कहा अलविदा, नहीं रहे पद्म श्री हीरालाल यादव
पूर्वांचल से लेकर बिहार तक अपनी लोकगायकी से लाखों के हृदय में बसने वाले हीरा लाल यादव का रविवार सुबह निधन हो गया, वह 83 वर्ष के थे।
वाराणसी, एबीपी गंगा। प्रसिद्ध बिरहा गायक पद्मश्री हीरालाल यादव ने रविवार (12 मई) को 83 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे काशी में शोक की लहत दौड़ गई। पद्मश्री हीरालाल लंबे अरसे से बीमार चल रहे थे। बीते 27 अप्रैल की रात उन्हें शहर के भोजूबीर इलाके में गंभीर स्थिति में एडमिट करवाया गया था। आईसीयू में एडमिट पद्मश्री हीरालाल यादव को देखने 28 अप्रैल को मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ वीबी सिंह पहुंचे थे। हीरालाल यादव के फेफड़ों में संक्रमण था और मल्टिपल ऑर्गन फेल्योर की स्थिति बनी हुई थी।
70 साल में हुआ पहली बार
16 मार्च को राष्ट्रपति भवन में महामहिम रामनाथ कोविंद ने हीरालाल यादव को पद्म अलंकार प्रदान किया। अस्वस्थ्य होने के बाद भी वह राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने भी हीरा लाल यादव से आशीर्वाद लिया था। 70 वर्ष में पहली बार बिरहा को पद्म श्री सम्मान मिला था।
प्रधानमंत्री ने जाना हाल
हीरालाल यादव के निधन से पूर्व उनके बेटे सत्यनारायण यादव से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर पद्मश्री हीरालाल का हाल जाना और उन्होंने उनकी हर सम्भव मदद करने का आश्वासन दिया। पीएम ने उनके बेटे से यह भी कहा की मेरे लिए कोई कार्य होगा तो जरूर बताइएगा। इस बीच सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी हीरालाल यादव के निधन पर दुख व्यक्त किया है।
बिरहा सम्राट और लोक संस्कृति के संवाहक, पद्मश्री हीरा लाल यादव जी के निधन की खबर से अत्यंत दुःखी हूँ, उनका जाना लोक गायन के एक युग के बीत जाने जैसा है किंतु अपने लोकगीतों के माध्यम से जनमानस के अंतःकरण में वे सदैव जीवित रहेंगे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। विनम्र श्रद्धांजलि।
— Chowkidar Yogi Adityanath (@myogiadityanath) May 12, 2019
कौन हैं हीरालाल यादव
मूलरूप से वाराणसी में हरहुआ ब्लॉक के बेलवरिया निवासी हीरालाल यादव का जन्म वर्ष 1936 में चेतगंज स्थित सरायगोवर्धन में हुआ। उनका बचपन काफी गरीबी में गुजरा, भैंस चराने के दौरान शौकिया गाते-गाते अपनी सशक्त गायकी से बिरहा को राष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाई और बिरहा सम्राट के रूप में विख्यात हुए। यह कठोर स्वर साधना का प्रतिफल तो रहा ही गुरु रम्मन दास, होरी व गाटर खलीफा जैसे गुरुओं का आशीर्वाद भी इसमें शामिल रहा। उन्होंने वर्ष 1962 से आकाशवाणी व दूरदर्शन पर बिरहा के शौकीनों को अपना दीवाना बनाया। भक्ति रस में पगे लोकगीत और कजरी पर भी श्रोताओं को खूब झुमाया, वहीं गायकी में शास्त्रीय पुट ने बिरहा गायन को विशेष विधा के तौर पर पहचान दिलाई है।
पद्मश्री समेत एक दर्जन सम्मान
मोदी सरकार में इसी वर्ष हीरालाल यादव को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें 93-94 में संगीत नाटक अकादमी सम्मान और 2014 में यशभारती के साथ ही विश्व भोजपुरी अकादमी का भिखारी ठाकुर सम्मान व रवींद्र नाथ टैगोर सम्मान मिला है।