आगरा, एबीपी गंगा। कहते हैं कि नियति के आगे हर कोई मजबूर है। सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख, कुछ ऐसे ही जीवन चलता है, लेकिन कुछ लोगों की जिंदगी में दुख ऐसे घर कर जाता है, जहां से वह निकलना ही नहीं चाहता। हम बात कर रहे हैं आगरा के ट्रांस यमुना इलाके में रह रहे एक ऐसी दंपति की, जिसके तीनों के तीनों बच्चे जन्मजात दृष्टिहीन हैं।
28 वर्षीय अहसान जो पेशे से ऑटो चालक हैं, उनकी सात साल पहले अनीसा से शादी हुई थी। एक खूबसूरत जिंदगी का सपना लिए हुए, इन्होंने एक साथ आगे बढ़ने का फैसला किया और जब पहला बच्चा इस दुनिया में आया, तो उन्हें यकीन नहीं हुआ कि उनका बच्चा दृष्टि हीन है। अब इस दंपति के तीन बच्चे हैं, लेकिन तीनों ही दृष्टहीन हैं। जब एबीपी गंगा की टीम उस दंपति के घर पहुंची, तो गुरबत की निशानियां चारों तरफ छाई हुईं थी। साथ ही इन बच्चों की लाचारी भी, जो केवल चीजे महसूस कर सकते हैं, लेकिन देख नहीं सकते।
एबीपी गंगा से बात करते हुए अहसान की पत्नी अनीसा के आंसुओं का सैलाब बह निकला। उसका यही कहना था कि ऐसी जिंदगी से मौत अच्छी है। मैं सब जगह अपने बच्चों को दिखा चुकी हूं, लेकिन सभी जगह डॉक्टरों ने यहीं कहा कि कुछ नहीं हो सकता। बस अब ऐसे ही तीनों बच्चों के साथ जिंदगी काटनी है। हमारे दुख को तो कोई कम नहीं कर सकता, लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार हमें छत मुहैया करा दे, तो थोड़ी जिंदगी में चैन आ जाए। क्योंकि हम गरीब हैं, हमारी सुनने वाला कोई नहीं है।
अहसान कहते हैं जगह-जगह इलाज करा लिया, लेकिन सब जगह डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। मैं चेन्नई तक बच्चों के इलाज के लिए गया हूं, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि ये जन्मजात है, कुछ नहीं हो सकता। अहसान काफी गरीब है, जो मुश्किल से अपना पेट पाल रहा है। जिसके दो हजार रुपये किराए में चले जाते हैं। अहसान के 3 बच्चे हैं- पहला 6 साल का अनस, दूसरा 2 साल का अनीस और तीसरी बच्ची अलीशा है 3 महीने की। तीनों दृष्टिहीन है। अहसान किराए पर लेकर ऑटो चलाता है, बमुश्किल 7 से 8 हजार रुपये कमाता है। इस दंपति की बस एक ही आस है कि काश उनके सिर पर छत हो जाए।