पाखरो टाइगर सफारी केस: ईडी की जांच के बाद आया नया मोड़, डीएफओ से हो सकती है पूछताछ
Uttarakhand News: पाखरो टाइगर सफारी में हुए घोटाले की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वन विभाग की कैंपा यूनिट को पत्र भेजकर विभागीय गड़बड़ियों के संबंध में जानकारी मांगी है.
Uttarakhand News: पाखरो टाइगर सफारी मामले में गड़बड़ी की जांच का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. इस प्रकरण की जांच की आंच अब वन विभाग के और भी कई अधिकारियों तक पहुंचती नजर आ रही है. इस मामले में नया मोड़ तब आया जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वन विभाग की कैंपा (कैम्पा) यूनिट को एक पत्र भेजा है, जिसमें विभागीय गड़बड़ियों के संबंध में जानकारी मांगी गई है.
इस पत्र के जरिए ईडी ने कैंपा के कार्यों की गहराई से जांच करने का इरादा जाहिर किया है. पाखरो टाइगर सफारी के निर्माण की आड़ में किए गए. अन्य निर्माण कार्यों की जांच में यह पता चला है कि कैंपा के 5 करोड़ 56 लाख रुपए का भी दुरुपयोग हुआ है. इनमें से कालागढ़ टाइगर रिजर्व के तत्कालीन डीएफओ द्वारा 1 करोड़ 70 लाख रुपए नियमों के खिलाफ एसी, फ्रीज जैसे सामान खरीदने पर खर्च किए गए.
ईडी ने अब सीईओ कैंपा को एक मेल
कैंपा फंड का उपयोग सामान्यतः: वन भूमि के विकास कार्यों के मुआवजे के रूप में होता है. जब किसी वन भूमि को अन्य विभागों को विकास कार्यों के लिए सौंपा जाता है, तो संबंधित विभाग निर्धारित मुआवजा राशि कैंपा फंड में जमा करता है. लेकिन पाखरो टाइगर सफारी मामले में इस फंड का दुरुपयोग बखूबी किया गया. मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत इस मामले की जांच कर रही ईडी ने अब सीईओ कैंपा को एक मेल भेजा है, जिसमें प्राथमिकता के आधार पर कई बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है.
ईडी की जांच से इस मामले को नया मोड़
ईडी के डिप्टी डायरेक्टर राजीव जैन द्वारा भेजी गई इस मेल में जांच के लिए कुछ प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है. इनमें कैंपा फंड के उपयोग की समीक्षा, संबंधित निर्माण कार्यों की प्रामाणिकता, और वन विभाग के अधिकारियों की भूमिका शामिल है. उत्तराखंड में हर साल कैंपा फंड के रूप में लगभग साढ़े तीन सौ करोड़ रुपए मिलते हैं. इस फंड के उपयोग को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं. लेकिन अब ईडी की जांच ने इस मामले को नया मोड़ दे दिया है.
डीएफओ से हो सकती है पूछताछ
ईडी की जांच के तहत कार्बेट टाइगर रिजर्व के बाहर भी कई डीएफओ से पूछताछ हो सकती है. जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि और भी अधिकारियों की भूमिका उजागर हो सकती है.इस मामले की जांच के चलते उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ी हुई है. पाखरो टाइगर सफारी में हुए घोटाले और फंड के दुरुपयोग की परत दर परत खुल रही है, जिससे इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार की गंभीरता सामने आ रही है. आगामी दिनों में जांच के परिणाम और विभागीय कार्रवाई के बारे में और भी जानकारी सामने आने की उम्मीद है, जो यह स्पष्ट करेगी कि इस बड़े घोटाले में और कौन-कौन सी अनियमितताएं और दोषी शामिल हैं.
ये भी पढ़ें: यूपी के नोएडा में तिब्बत के नागरिक ने फर्जी नाम से बनवाई आईडी, किया करोड़ों का फ्रॉड