UP News: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिजन नुरू की शत्रु संपत्ति नीलाम होने के बाद कोताना गांव में ही लगभग 66 बीघा कृषि भूमि को और शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया है. यह संपत्ति अब्दुल रहमान की थी, जो वर्ष 1970 में गांव छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे. वर्ष 2010 से ही इस भूमि को शत्रु संपत्ति को घोषित करने की प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन कुछ लोग फर्जीवाड़ा कर अदालत चले गए थे. 


प्रशासन का दावा है कि अदालत ने वाद का समाधान कर दिया है, जिसके बाद अब पूर्ण रूप से 66 बीघा भूमि को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया है. जल्द ही नीलामी की प्रक्रिया अमल में लायी जाएगी. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिजन नुरू के बाद कोताना गांव के ही रहने वाले अब्दुल रहमान पुत्र मजीद भी अपने परिवार के लोगों के साथ गांव छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे. 


कई साल बाद सुलझा मामला
लेकिन उनके नाम गांव में लगभग 66 बीघा कृषि भूमि रह गई थी. बाद में इसमें से कुछ भूमि को फर्जीवाड़ा कर कई लोगों ने अपना नाम दर्ज करवा लिया था और बैनामा कर बेच भी दिया था. इसी के आधार पर लोग अदालत भी चले गए थे, लेकिन अदालत ने कई साल पहले वाद का निस्तारण कर दिया था. 


सरकार की ओर से इस भूमि को शत्रु संपत्ति घोषित करने की प्रक्रिया वर्ष 2010 से चल रही थी, लेकिन तहसील में यह फाइल दबी रही. कुछ दिन पहले कोताना गांव में जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिजन नुरू की 13 बीघा शत्रु संपत्ति नीलाम हुई तो सरकार की निगाह अब्दुल रहमान की 66 बीघा भूमि पर भी पड़ी, जिसके बाद डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने दबी फाइल को निकलवाकर इस भूमि को शुत्र संपत्ति घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कराई. अब इस भूमि को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया है. 


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क्या है मांग
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिजन नुरू की शत्रु संपत्ति के 1.38 करोड़ रुपये में नीलाम हुई और अब अब्दुल रहमान की शत्रु संपत्ति के रूप में 66 बीघा भूमि नीलाम होगी. जिसकी कीमत कई करोड़ रुपये होगी. इन रुपयों को राष्ट्रहित के निर्माण में लगाया जाना चाहिए. ऐसी मांग बागपत के लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कर रहे हैं. 


छह सितंबर को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिजन नुरू की 13 बीघा भूमि यानी शत्रु संपत्ति को 1.38 करोड़ रुपये में नीलाम कर दिया था. शत्रु संपत्ति बिकने के बाद परवेज मुशर्रफ और उसके परिजन नुरू का नाम कोताना से हमेशा के लिए खत्म हो गया है. कोताना गांव के रहने वाले नुरू वर्ष 1965 में पाकिस्तान चले गए थे. नुरू के नाम से गांव में लगभग 13 बीघा भूमि थी. सरकार ने वर्ष 2010 में शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था. 
(बागपत से गौरव की रिपोर्ट)