कौशांबी, एबीपी गंगा। यूपी के कौशांबी में शौचालय निर्माण में धांधली रुकने का नाम नहीं ले रही है। प्रधान और सेक्रेटरी मिलीभगत कर लूट खसोट करने में जुटे हैं। सिराथू ब्लॉक के रामपुर धमावां गांव में 86 शौचालय का लगभग साढ़े दस लाख रुपए निकालने के बाद भी निर्माण कार्य नहीं शुरू हुआ तो जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) ने ग्राम पंचायत सचिव सुशील सिंह को निलंबित कर दिया। इसके अलावा प्रधान को भी नोटिस भेज कर जवाब मांगा है। दरअसल प्रधान और सेक्रेटरी ग्राम पंचायत के विकास कार्यों, आश्रय स्थल व मनरेगा समेत अन्य विकास कार्यों में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे। विभाग की कार्रवाई से हड़कंप का माहौल है। ग्राम प्रधान व सेक्रेटरी ने गांव का विकास कागज पर ही करवाकर लाखों रुपए हजम कर लिये हैं।


सिराथू ब्लॉक के रामपुर धमावां गांव में लगभग 12 मजरे आते हैं। इनमें अल्पी का पुरा नाम का भी एक मजरा है। यहीं का ग्राम प्रधान राघवेंद्र सिंह हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान मजरों के अलावा मुख्य ग्राम सभा का विकास कार्य नहीं करवा रहा है। ग्रामीणों का आरोप लगभग सही भी है। वजह यह है कि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) योजना के तहत लगभग 499 शौचालय दिये गये। इनमें से तकरीबन 11 लाख रुपए का दुरुपयोग किया गया। 3 दिसम्बर 2019 को सेक्रेटरी को नोटिस दी गई तो उसने 28 दिसम्बर 2019 को जवाब देकर बताया कि 394 शौचालय निर्माण के लिए 42.10 लाख रुपए लाभार्थियों के खाते में भेज दिया। लेकिन 86 लाभार्थियों ने पहली किश्त पाने के बाद भी शौचालय का निर्माण नहीं शुरू कराया।


परियोजना निदेशक ( पीडी) लक्ष्मण प्रसाद ने 10 फरवरी को गांव पहुंच कर स्थलीय सत्यापन किया तो रामपुर धमावां में शौचालय नहीं दिखे। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 86 शौचालय पर काम नहीं शुरू हुआ था। इसके अलावा गांव के विकास कार्य मसलन नाली, सीसी रोड भी नहीं बनी थी। इतना ही नहीं गो आश्रय स्थल में ग्राम पंचायत सचिव व प्रधान ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। लॉकडॉउन में दोनों ने मनरेगा मजदूरों को काम नहीं दिया। प्रधान और सेक्रेटरी दोषी पाए गए। डीपीआरओ गोपाल जी ओझा ने सेक्रेटरी को निलंबित कर दिया। प्रधान के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए नोटिस भेजी गई है।