अयोध्या: 23 नवंबर से परिक्रमा मेले की हो रही है शुरुआत, बाहरी श्रद्धालुओं के आने पर लगाई गई रोक
राम नगरी में परिक्रमा की परंपरा सदियों पुरानी है. 5 कोसी परिक्रमा भगवान राम के मंदिर के पांच कोस के भीतर की जाती है तो 14 कोसी परिक्रमा अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा की परिक्रमा है. बाहरी श्रद्धालु परिक्रमा में भाग नहीं ले सकेंगे.
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अयोध्या: राम नगरी अयोध्या में 23 नवंबर से परिक्रमा मेले की शुरुआत हो रही है. सबसे पहले 14 कोसी परिक्रमा की जाएगी. 22 नवंबर की देर रात्रि परिक्रमा शुरू होगी जो 24 नवंबर तक चलेगी और 25 नवंबर को एकादशी के दिन 5 कोसी परिक्रमा होगी. इसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ बड़ी संख्या में बाहरी श्रद्धालु भी आते हैं और राम नगरी की परिधि में परिक्रमा करते हैं. लेकिन, इस बार कोरोना काल में परिक्रमा मेले में बाहरी श्रद्धालुओं के आने पर रोक लगाई गई है. जिला प्रशासन लोगों से अपील कर रहा है कि लोग अपने घर पर रहें और कोविड-19 को देखते हुए अयोध्या में आकर के परिक्रमा न करें. संतो ने भी लोगों से अपील की है कि वो घरों पर ही रहें और वहीं पर रहकर धार्मिक अनुष्ठान और पूजन-पाठ करें.
मेडिकल टीमों को किया जाएगा तैनात राम नगरी में परिक्रमा की परंपरा सदियों पुरानी है. 5 कोसी परिक्रमा भगवान राम के मंदिर के पांच कोस के भीतर की जाती है तो 14 कोसी परिक्रमा अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा की परिक्रमा है. इस बार कोविड-19 को देखते हुए परिक्रमा में बाहरी श्रद्धालु परिक्रमा में भाग नहीं ले सकेंगे. अयोध्या के लोगों पर परंपरा को जीवंत रखने का भरा पड़ा है इसीलिए अब इस बार की परिक्रमा में केवल अयोध्या के स्थानीय लोग ही परिक्रमा करेंगे. हालांकि, इस दरमियान पूरे मेला क्षेत्र में सैनिटाइजेशन और मेडिकल की टीमें लगी रहेंगी और श्रद्धालुओं से सोशल डिस्टेंसिंग के साथ परिक्रमा करने की अपील भी की जाएगी.
तीन परिक्रमा की जाती हैं रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि अयोध्या की प्रमुख रूप से तीन परिक्रमा की जाती हैं. अक्षय नवमी को 14 कोसी और देवोत्थान एकादशी को 5 कोसी परिक्रमा. तीसरी परिक्रमा चौरासी कोस की होती है जो चैत्र पूर्णिमा से शुरू की जाती है. संकल्प करके परिक्रमा करने वालों का जन्म जन्मांतर का पाप नष्ट होता है. अयोध्या, काशी और मथुरा सभी धर्म नगरी की परिक्रमा इसी उद्देश्य की जाती है. पंचकोसी परिक्रमा पंच भौतिक शरीर को ध्यान में रखकर की जाती है.
क्या है महत्व धार्मिक शास्त्रों के अनुसार 84 योनियां होती है और उसमें भ्रमण न करने पड़े इस उद्देश्य से चौरासी कोस की परिक्रमा की जाती है परमात्मा की प्राप्ति हो इसलिए 84 कोस की परिक्रमा की जाती है. 14 लोक होते हैं. जीवात्मा 14 लोक में भ्रमण न करे इसलिए लोग 14 कोस की परिक्रमा करते हैं. इसकी परिक्रमा करने से 14 लोकों में भ्रमण नहीं करना पड़ता और परमात्मा के लोक की प्राप्ति होती है इसलिए श्रद्धालु 14 कोस की परिक्रमा करते हैं.
सुरक्षा की पूरी है तैयारी अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज झा ने कहा कि मेले के मद्देनजर व्यापक सुरक्षा की तैयारी की जा रही है. कोरोना वायरस की वजह से बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं से ये अनुरोध किया गया है कि वो इस वर्ष परिक्रमा न करें. घरों पर रहकर ही अपनी श्रद्धा के अनुसार धार्मिक अनुष्ठान करें. बाहर के जिलों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ट्रैफिक का डायवर्जन रहेगा साथ ही परिक्रमा पथ पर टेंपरेचर स्कैनिंग मास्क की चेकिंग होगी. जगह-जगह मित्र कैंप लगाए जाएंगे और सुरक्षा के इंतजाम किए जाएंगे.
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