अयोध्या: श्रद्धा भाव के साथ पंचकोसी परिक्रमा जारी, सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त के बीच सीसीटीवी कैमरों से निगरानी
अयोध्या में प्रबोधिनी एकादशी में पंसकोसी परिक्रमा शुरु हो गई है. कोरोना महामारी की वजह से अयोध्या से बाहर के श्रद्धालु नहीं आ रहे हैं. वहीं, प्रशासन ने भी अपील की है कि लोग घर पर ही रहकर अपनी आस्था रखें.
अयोध्या: कोविड-19 संक्रमण के दौर में भी अयोध्या की पंचकोसी परिक्रमा के दौरान आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. कार्तिक पूर्णिमा मेले की दूसरे चरण पंचकोसी परिक्रमा बुधवार की भोर 4:30 बजे ही प्रारंभ हुई, जो पूरा दिन चलेगी. इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने रामकोट की परिधि में पंचकोसी परिक्रमा की परिक्रमा मार्ग पर मानव श्रद्धा भक्ति और आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. समूचे परिक्रमा मार्ग पर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए क्लोज सर्किट टीवी कैमरे सक्रिय करने के साथ साथ परिक्रमा क्षेत्र को जोन , सेक्टर और माइक्रो सेक्टर में बांटा गया है.
देवोत्थानी प्रबोधनी एकादशी लगने के बाद शुरू हुई पंचकोसी परिक्रमा में हालांकि कोविड-19 के चलते पहले की तरह ना तो बाहर से आए श्रद्धालु दिखाई दिए और ना ही भीड़ का वह सैलाब, बावजूद इसके हजारों श्रद्धालुओं ने अयोध्या की धूल माथे से लगाते हुए परिक्रमा उठाई, तो लगभग 18 किलोमीटर लंबा परिक्रमा मार्ग धीरे धीरे श्रद्धालुओं से भरा दिखाई दिया. जहां पग पग पर आस्था बिखरी दिखाई दी. आस्था की डगर पर नन्हें-मुन्ने और वयोवृद्ध महिलाओं पुरुषों का उत्साह देखते बन रहा था. अयोध्या की पंचकोसी परिक्रमा को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे श्रद्धालु माला का रूप धारण करके तीर्थ स्थल अयोध्या की उपासना कर रहे हो. मानव शरीर पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बना है.
पंचकोसी परिक्रमा से जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं
मान्यता है कि पंचकोसी परिक्रमा में इन पांचों पदार्थों का शोधन होता है. इसलिए अयोध्या की पंचकोसी परिक्रमा का धर्म क्षेत्र में अपना एक अलग महत्व है. यह परिक्रमा अयोध्या में स्थित विराजमान रामलला स्थल के इर्द-गिर्द परिधि की शक्ल में 18 किलोमीटर में घूमती है. माना जाता है कि इस परिक्रमा से जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं.
परिक्रमा कर रहे है एक श्रद्धालु का कहना है कि चार-पांच सालों से वे परिक्रमा कर रहे हैं. इस बार कोरोना वायरस की वजह से भीड़ थोड़ी कम है, इसलिए लोग मास्क लगाकर परिक्रमा कर रहे हैं.
मोक्ष मिलता है मानव शरीर को
मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का कहना है कि पंचकोसी परिक्रमा कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को प्रारंभ होती है. इस एकादशी को देव उत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है. इसमें परिक्रमा अयोध्या की होती है, जो 5 कोस की होती है. परिक्रमा का महत्व है कि मानव शरीर पंच भौतिक है, पंच भौतिक शरीर में जन्म लेने से मरने तक तमाम कष्ट होते हैं, जो लोग अयोध्या की 5 कोसी परिक्रमा कर लेते हैं, उनको भौतिक शरीर छुटकारा मिल जाता है, उनको मोक्ष मिलता है. भगवान ने कहा है कि जहां आने के बाद जीवात्मा संसार में लौट करके नहीं आता, वहां पर जो आत्मा चला जाता है इसलिए पुन: मानव शरीर धारण करने की अनुमति नहीं पड़ती. साथ ही साथ जो हम परिक्रमा करते हैं एक-एक पग जब चलते हैं, जन्म जन्मांतर के जो पाप हैं, जो गलतियां हैं, वह सब के सब नष्ट हो जाते हैं.
सुरक्षा के सख्त बंदोबस्त
डीआईजी दीपक कुमार ने बताया कि कार्तिक एकादशी को होने वाली पंचकोसी परिक्रमा आज से शुरु हो जाएगी और कल रात्रि तक चलेगी. 24 घंटे की परिक्रमा है, इसमें पुलिस के द्वारा पूरी तरह बंदोबस्त कर दिए गए हैं. उन्होंने लोगों से अपील करते हुये कहा कि जो बाइक सवार हैं, बाइक लेकर के श्रद्धालुओं के मार्ग पर ना आए, अगर वो आते हैं तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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