UP Lok Sabha Election 2024: पारसनाथ राय ने मुख्तार अंसारी को बताया आतंकवादी, बोले- 'परिवारवाद की कोई तो सीमा होनी चाहिए'
अफजाल अंसारी एक ओर जहां अपने भाई मुख्तार को गरीबों के मसीहा बता रहे है तो वहीं पारसनाथ मुख्तार अंसारी को आतंकवादी बता रहे है. वहीं बेटी को चुनाव में उतारने पर उन्होंने परिवारवाद का आरोप भी लगाया है.
Lok Sabha Election 2024: मुख्तार अंसारी की मौत हो चुकी है और उसे उसके पुश्तैनी कब्रिस्तान कालीबाग में दफन किया जा चुका है. लेकिन गाजीपुर की राजनीति के केंद्र में अभी भी मुख्तार अंसारी ही है. मुख्तार के बड़े भाई और सपा प्रत्याशी जहां अपनी चुनावी सभाओं में मुख्तार को मसीहा बता रहे हैं और मुख्तार की तुलना शहीद भगत सिंह और राजगुरु से कर रहे है. वहीं बीजेपी प्रत्याशी पारसनाथ राय मुख्तार को आतंकवादी बता रहे है. पारसनाथ राय के बेटे और भाजपा नेता आशुतोष राय ने भी मुख्तार को भारत का सबसे बड़ा आततायी बताते हुए उसे कालनेमी कहा था.
अफजाल अंसारी ने अपनी एक चुनावी सभा में मुख्तार की तुलना देश के शहीदों से की थी और उसका वीडियो तेजी से वायरल हुआ था.अफजाल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि अपने सम्मान और अधिकार के लिये फिर एक आजादी की जंग शुरू हो चुकी है और इसमें भी कुर्बानी देनी पड़ेगी. वतन को आजाद कराने को लड़ाई में राजगुरु, सुखदेव,अशफाकउल्ला बिस्मिल,भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद ये सोच लिये होते की आजादी की लड़ाई में हमारी जान चली जायेगी तो शायद देश आजाद नहीं होता.आज हमें फिर आजादी की लड़ाई लड़नी है और इसमें कुर्बानी देनी पड़ेगी.
क्या बोले पारसनाथ राय
पारसनाथ राय ने ये भी कहा कि अफजाल अंसारी ने देश के क्रांतिकारियों की तुलना अपने आतंकवादी भाई से की है.इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है.आजाद,चंद्रशेखर,राजगुरु और सुखदेव ये सभी हमारे आदर्श हैं क्या आपका आतंकवादी भाई भी हमारा आदर्श हो जाये जिसने न जाने कितनी माताओं के सिंदूर लूटे हैं.आप तुलना करने में अपनी जबान को सम्भालिए.
'परिवारवाद की कोई तो सीमा होनी चाहिए'
पारसनाथ राय ने अफजाल अंसारी द्वारा अपनी बेटी को चुनावी मैदान में उतारने पर भी तंज कसा और कहा कि परिवारवाद की कोई सीमा तो होनी चाहिये. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव के घर में जितने लोग है. सभी चुनाव लड़ रहे है.अफजाल अंसारी भी अपनी बेटी को आगे कर रहे है. उनको अपना कोई कार्यकर्ता ऐसा नहीं मिला. जिसे वो चुनाव लड़ा सकें.उनका वश चलता तो अपने परिवार के 18 साल से कम वालों को भी चुनाव लड़ा देते.अपने आतंकवादी भाई के बेटे या उसकी पत्नी को ही लड़ा देते.
'मसीहा बनते-बनते अपनी बेटी तक सिमट कर रह गए'
पारसनाथ ने यह भी कहा कि आप गरीबों के मसीहा बनते-बनते अपनी बेटी तक सिमट कर रह गये. उससे आगे आप कुछ भी नहीं देख पा रहे है. परिवारवाद का निकृष्टतम उदाहरण है. दरअसल अफजाल अंसारी अपनी हर चुनावी सभा में मुख्तार अंसारी का नाम लेकर लोगों की सिम्पैथी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं और बीजेपी इस बात को अच्छी तरह से समझती है और यही वजह है कि सीएम योगी से लेकर पारसनाथ राय तक सभी मुख्तार अंसारी को लेकर हमलावर हैं और जहां अफजाल उसे मसीहा बता रहे हैं बीजेपी उसे आतंकवादी बता रही है.
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