बीते साल अगस्‍त 2019 में ऐसी खबर आई कि बिस्किट बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी पारले प्रोडक्ट्स 10 हजार कर्मचारियों की छंटनी करने वाली है। उसी महीने, ब्रिटानिया के प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने भी कहा था कि मंदी की वजह से उपभोक्ता उत्पाद खरीदने से पहले दो बार सोच रहे थे। इसके बाद पारले प्रोडक्ट्स के कैटेगिरी हेड मयंक शाह ने एक बयान दिया था। इसमें उन्‍होंने बताया था कि Parle की बिक्री और प्रोडक्‍शन में गिरावट आई है। इस वजह से कंपनी को आने वाले दिनों में 10 हजार कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ सकती है। मयंक शाह ने इस हालात के लिए सरकार की नीतियों को जिम्‍मेदार बताया था।


कोरोना वायरस की वजह से होटल से लेकर पर्यटन और तमाम सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई है। ऐसे में पारले-जी की बिक्री को लेकर राहत की बात ये है कि दो सप्ताह पहले 10% -15% और मार्च की औसत सेल पिछले से सप्ताह 25% ऊपर थी। पारले जी भारत में सबसे अधिक बिकने वाले बिस्कुट ब्रांडों में से एक है, वितरकों, दुकानों और ई-कॉमर्स चैनलों ने इसे अच्छी तरह से स्टॉक किया है। हालांकि, पहली बार बिस्किट कई क्षेत्रों में हाल ही में स्टॉक से बाहर हो गया है। पारले जी की बिक्री है और चुनिंदा शेयरों ने गिरावट के दौर में बाजार पर अपना कब्जा जमाया है।



पारले जी राहत भी जुड़ी हुई है। पारले-जी को राहत शिविरों में या प्राकृतिक आपदाओं से बचे रहने के लिए दिया जाता रहा है। बीते साल एक वक्त वो भी आया था जब पारले प्रोडक्ट्स के कैटेगिरी हेड मयंक शाह ने कहा था कि जीएसटी लागू होने के बाद हालात बिगड़े थे। GST लागू होने के बाद हालात बदल गए और सभी बिस्किटों को 18 फीसदी स्लैब में डाल दिया। इसका असर ये हुआ कि बिस्किट कंपनियों को इनके दाम बढ़ाने पड़े और इस वजह से बिक्री में गिरावट आ गई।