BJP के इस फैसले को मिला BSP का समर्थन, कहा- इसका स्वागत किया जाना चाहिए...
बहुजन समाज पार्टी ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी की सरकार के एक अहम फैसले का समर्थन किया है. इससे यूपी में कांग्रेस से उसकी बात बिगड़ सकती है.
White Paper In Parliament: केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने साल 2014 से पहले की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार की आर्थिक नीतियों के विरुद्ध 'श्वेत पत्र' लाने का फैसला किया है. इसके जरिए केंद्र सरकार यह बताएगी कि साल 2014 के पहले की आर्थिक नीतियां कैसी थीं और तब के मुकाबले आज 10 साल बाद क्या स्थिति है. इसके लिए केंद्र ने संसद ने बजट सत्र का एक दिन और बढ़ाने का फैसला किया है.
इस फैसले का बहुजन समाज पार्टी ने समर्थन किया है. पार्टी सांसद मलूक नागर ने कहा है कि 'श्वेत पत्र' लाने और संसद की कार्यवाही का एक दिन बढ़ाने के फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए. श्वेत पत्र से पिछली सरकार का काम सामने आएगा.
दीगर है कि मलूक नागर का बयान ऐसे वक्त में आया है जब कथित तौर पर कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में बसपा और कांग्रेस, भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (I.N.D.I.A.) में साथ आने के लिए वार्ता कर रहे हैं. कुछ रिपोर्ट्स में यहां तक कहा जा रहा है कि बसपा अगर साथ आ जाए तो कांग्रेस, समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ सकती है.
White Paper पर वित्त मंत्री ने कही थी ये बात
श्वेत पत्र पर इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी प्रतिक्रिया दी थी. अंतरिम बजट पेश करने के एक दिन बाद शुक्रवार को 2014 से पहले की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार पर 'श्वेत पत्र' पेश करने के अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति को लोगों के सामने रखने का इससे 'बेहतर समय' नहीं हो सकता. वित्त मंत्री ने अंतरिम बजट के बाद अपने पहले साक्षात्कार में कहा कि यह 'श्वेत पत्र जारी करने का सही समय' है.
सीतारमण ने कहा था , 'हमने भारतीय अर्थव्यवस्था को नाजुक स्थिति से शीर्ष पर पहुंचाया. यही कारण है कि हम अब एक श्वेत पत्र ला रहे हैं. यह सही समय है.'
सीतारमण ने बताया था कि जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार 2014 में सत्ता में आई थी, तब अर्थव्यवस्था खराब स्थिति में थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि 'नाजुक अर्थव्यवस्था' को दुनिया के सामने उजागर न किया जाए क्योंकि इससे एक चिंताजनक संकेत जाता. उद्योग और व्यवसायी और किसी ने भी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में निवेश करने के बारे में नहीं सोचा होगा.