लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार को कुछ और सांसदों को निंलबित किया गया. यूपी से सपा सांसद डिंपल यादव, एसटी हसन और बसपा के पूर्व नेता और सांसद दानिश अली को भी निलंबित किया गया है. सांसदों के निलंबन पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है.


विपक्षी सांसदों के निलंबन पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, "यह सरकार सही बात सुनना नहीं चाहती है. बीजेपी से यह पूछना चाहिए कि वे लोकतंत्र का मंदिर बोलते हैं. हम सब अपने भाषणों में लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं. ये किस मुंह से इसे लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं, जब ये विपक्ष को बाहर कर रहे हैं. अगर ये दूसरी बार सरकार में आ गए तो यहां बाबासाहेब अंबेडकर का संविधान नहीं बचेगा."



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शशि थरूर, अधीर रंजन चौधरी और सुप्रिया सुले ने दी प्रतिक्रिया
लोकसभा से 40 से ज्यादा सांसदों के निलंबन पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, "यह स्पष्ट है कि वे विपक्ष-मुक्त लोकसभा चाहते हैं और वे राज्यसभा में भी कुछ ऐसा ही करेंगे...आज, अपने सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए, मैं भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुआ लेकिन जो भी उपस्थित थे उन्हें शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है, जिसका अर्थ है कि वे बिना किसी चर्चा के अपने विधेयकों को पारित करना चाहते हैं. मुझे लगता है कि यह संसदीय लोकतंत्र के साथ विश्वासघात है."


विपक्षी सांसदों के निलंबन पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "यह संसद के अंदर अराजकता के अलावा और कुछ नहीं है...उन्हें हमारे देश की संसदीय प्रणाली पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं है. इसलिए संसद में अराजकता, अराजकता और अराजकता के अलावा कुछ नहीं है."


निलंबन पर NCP सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, "जो हो रहा है देश में वह बहुत गलत हो रहा है...हम सिर्फ सुरक्षा में चूक पर चर्चा चाहते हैं. सिर्फ हमारे सांसदों के लिए नहीं, बीजेपी के सांसद, मीडिया सबके लिए हम चर्चा चाहते हैं लेकिन सरकार चर्चा से भाग रही है."