गोंडा. यूपी के गोंडा में सरयू नदी किनारे पसका मेला शुरू हो गया है. सरयू और घाघरा नदी के संगम पर पौष मास की पूर्णिमा तिथि को ये मेला लगता है. पसका का मेला को लघु प्रयाग भी कहा जाता है. मेले को देखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से पुख्ता व्यवस्था की गई है. सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम भी चौकस किए गए हैं. हालांकि कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार यहां श्रद्धालुओं की भीड़ कम नजर आ रही है.


क्या है मान्यता
स्वामी भगवत आचार्य इसकी मान्यताओं के बारे में बताते हैं. वो कहते हैं कि यही पर भगवान विष्णु ने 12 अवतार लेकर मैलाकोट गांव में हिरणवक्ष का वध किया था. वध करने के बाद उन्होंने यहां स्नान किया था. तभी से ये मान्यता है कि यहां पर यहां पर स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं. यहां स्नान करने से प्रयाग के स्नान के बराबर पुण्य मिलता है.


तुलसीराम जी ने तिरमोहनी के रूप में किया जिक्र
उन्होंने बताया कि यहां तुलसीदास की भी जन्मस्थली है. तुलसीदास जी ने भी रामायण में इस स्थान का तिरमोहनी के रूप में उल्लेख किया है, जिसके बाद से यहां पर हर साल के पौष मास की पूर्णिमा तिथि के स्नान को लघु प्रयाग का स्नान कहां जाता है.


ये पूर्णिमा तिथि का इसलिए महत्व है क्योंकि इसी दिन 12 भगवान ने हिरणवक्ष को मारा था. यहां पर सरयू और घाघरा एक साथ आकर मिलती हैं इसीलिए इसे संगम कहा गया है. उन्होंने बताया कि यहां से अयोध्या की दूरी बहुत ही कम है. यहां से 5 किलोमीटर दूर तुलसीदास की मां बाराही देवी का स्थान भी है.


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