CAG Audit Report: उत्तराखंड में आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (Ayushman Bharat-Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana) के तहत गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट 2018 से लेकर मार्च 2021 तक की है. ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद उत्तराखंड सरकार बैकफुट पर आ गई है. कैग ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के संचाल पर सवाल उठाए हैं. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आयुष्मान भारत योजना को उत्तराखंड सरकार प्रदेश की अटल आयुष्मान योजना के साथ संचालित कर रही है.
43 अस्पतालों का भौतिक सत्यापन नहीं किया गया
रिपोर्ट में बताया गया है कि 43 अस्पतालों का भौतिक सत्यापन नहीं किया गया. प्रदेश के पांच अस्पतालों में निर्धारित बेड क्षमता से अधिक मरीजों का इलाज हुआ. एक ही नंबर से कई मरीजों का इलाज दिखाया गया है. मरीजों की मौत का विवरण लिए बगैर 15 लाख 35 हजार रुपये का भुगतान किया गया. उत्तराखंड में अब तक 5,178785 आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं . आयुष्मान भारत योजना का लाभ लेनेवाले मरीजों की संख्या 85066 पाई गई. योजना में गड़बड़ी करने वाले 53 अस्पतालों को हटाया जा चुका है और 140 करोड़ के दावे निरस्त किए गए हैं.
कैग की रिपोर्ट आने के बाद दबाव में आई सरकार
मतलब सीधे तौर पर आयुष्यमान भारत योजना से हटाए गए अस्पताल गड़बड़ी कर रहे थे. चयनित अस्पतालों ने अग्निशमन विभाग, बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट और प्रदूषण नियंत्रण विभाग से भी अनुमति नहीं ली. आयुष्यमान भारत योजना का पंजीकरण कराने में काफी लोग अभी भी पीछे हैं. स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार का कहना है कि प्रदेश में कोरोना महामारी के दौरान योजना संचालन में गड़बड़ियां देखी गई थी. स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को चिह्नित कर अब व्यवस्था ठीक कर दी है.
सवालों के जवाब दिया जा चुके हैं. आगे दोबारा गड़बड़ी होने की संभावना नहीं है. स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि आयुष्मान भारत और अटल आयुष्मान योजना में उत्तराखंड सबसे अधिक भुगतान करने वाला राज्य है. योजना का लाभ हजारों मरीजों को मिला है. कैग की रिपोर्ट का सरकार परीक्षण कर रही है. अधिकारियों को योजना संचालन का सख्ती से ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं. सरकार गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद रिपोर्ट का अध्ययन कर कर रही है.