UP News: बिहार स्थित पटना के महावीर मंदिर (Patna Mahavir Mandir) पर वर्चस्व की जंग तेज हो गई है. अयोध्या (Ayodhya) में तीनों अनी अखाड़ों ने महावीर मंदिर न्यास समिति के आचार्य किशोर कुणाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. हनुमानगढ़ी में तीनों अनी अखाड़ों की बैठक बुलाने का एलान किया गया है. साधु संतों का का दावा है कि पांच रामानंदी अखाड़ा हनुमानगढ़ी से महावीर मंदिर की व्यवस्था का संचालन होता रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि किशोर कुणाल कूट रचना कर महावीर मंदिर संचालक बन गए और मंदिर की देखरेख करने वाले हनुमानगढ़ी के सभी साधु संतों को धीरे-धीरे निकाल दिया.


पटना के महावीर मंदिर पर वर्चस्व की जंग हुई तेज


इसलिए अब हनुमानगढ़ी के संत सीबीआई और ईडी से मामले की जांच कराने की मांग करेंगे. उन्होंने किशोर कुणाल पर बिहार के अन्य मंदिरों और जमीनों को अवैध तरीके से हथियाने का आरोप लगाया है. हनुमानगढ़ी और पटना महावीर मंदिर समिति के बीच का विवाद नया नहीं है. इसके पहले कई बार दोनों में टकराव की स्थिति बनी थी. मगर पहली बार तीनों अखाड़ों की बैठक बुलाने का एलान किया गया है. कहा गया है कि अब फैसला अखाड़े की बैठक में होगा. बैठक की तारीख की घोषणा अभी नहीं हुई है.


पूर्व महंत पटना महावीर मंदिर के महेंद्र दास ने हनुमानगढ़ी में तीनों अनी अखाड़ों की बैठक होने की पुष्टि की है. तीनों अनी अखाड़े जगतगुरु बलानंदाचार्य के जरिए स्थापित हैं. परमाचार्य पटना महावीर मंदिर के रघुनाथ दास शास्त्री ने कहा कि हनुमानगढ़ी मंदिर निर्वाणी अनी अखाड़ा है. हनुमानगढ़ी की शाखा के रूप में पटना का महावीर मंदिर है. वर्चस्व की लड़ाई अब सीधे न्यायालय में गई है. निर्मोही अनि अखाड़ा, दिगंबर अनी अखाड़ा और निर्वाणी अनी अखाड़ा बैठक कर सामूहिक निर्णय लेंगी.


किशोर कुणाल के खिलाफ हनुमानगढ़ी ने खोला मोर्चा


बैठक में लिए गए फैसले के अनुसार आगे काम होगा. विवाद को साफ करने के लिए सभी लोग लगे हुए हैं. हनुमानगढ़ी का दावा हमेशा से रहा कि निर्मोही अनि अखाड़ा, दिगंबर अनी अखाड़ा और निर्वाणी अनी अखाड़ा की स्थापना करने वाले जगतगुरु बलानंदा ने महावीर मंदिर की स्थापना की है. महावीर मंदिर में स्थापित दोनों प्रतिमाएं भी जगतगुरु बालानंद के समय की हैं. इसलिए महावीर मंदिर का संचालन अयोध्या हनुमानगढ़ी के जरिए ही होता रहा.


अयोध्या हनुमानगढ़ी से जुड़े लोग पटना के महावीर मंदिर में महंत समेत अन्य अन्य जिम्मेदारियां संभालते रहे. 1987 में रामगोपाल महाराज को हत्या के आरोप में जेल गए. उस समय किशोर कुणाल पटना एसपी के पद पर तैनात थे. आरोप है कि उन्होंने कूट रचना और पद का दुरुपयोग कर महावीर मंदिर पर वर्चस्व कायम कर लिया. उसके बाद महंत परंपरा समाप्त की और फिर हनुमानगढ़ी की तरफ से नियुक्त पुजारी को धीरे-धीरे हटाया.


विरोध करने पर महंत की जगह हनुमानगढ़ी के संत को परमाचार्य नियुक्त किया. अब कुछ समय पहले परमाचार्य को भी हटाकर किशोर कुणाल ने महावीर मंदिर पर कब्जा कर लिया. हनुमानगढ़ी के साधु संत और पूर्व आईपीएस अफसर किशोर कुणाल में विवाद है और दोनों पक्ष वर्चस्व कायम रखना चाहते हैं.


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