साधारण किसान से पवन हाईटेक किसान बने, कम लागत से अधिक मुनाफे की तैयार कर रहे फसल
गोंडा के पवन सिंह कहते हैं कि, आजक जैविक खाद से तैयार पैदा किये गये अनाज की मांग लगातार बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि, पारंपरिक खेती छोड़कर आधुनिक खेती के तरीके अपनाएं.
Gonda Hitech Farmer: गोंडा के विकासखंड परसपुर क्षेत्र के चरुहुआ गांव के रहने वाले हाईटेक किसान पवन कुमार सिंह गोंडा में ही नहीं बल्कि राजधानी लखनऊ में भी अपनी मिसाल कायम कर रहे हैं. इनके खेत में उत्पादित की गई फसल पूर्ण रुप से जैविक खेती पर निर्भर है. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बाद अब लोगों में पोषक से भरपूर और जैविक अनाज की डिमांड लगातार बढ़ गई है. हाईटेक किसान पवन कुमार को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल के साथ जिले के बड़े अधिकारियों व अन्य नेताओं के द्वारा प्रशस्ति पत्र भी दिया जा चुका है. फसल की खेती के साथ सब्जी की खेती, मसाले की खेती शहतूत की खेती, मछली के बीज का उत्पादन के साथ मिश्रित खेती करने पर जोर दे रहे हैं. उसके बाद कृषि विभाग से लोन लेने के बाद अपने कारोबार को लगातार बढ़ा रहे हैं. इन्होंने खुद सामान की पैकिंग कर लखनऊ में भी सप्लाई कर रहे हैं. रेशम पालन के साथ मधु मक्खी पालन में लगे हुए हैं, जिससे शहद का कारोबार कर लाभ कमा रहे हैं. पवन कुमार स्नातक तक पढ़ाई करने के बाद खेती के कार्य में लग गए इसे लगातार कृषि में अपना व्यवसाय आगे बढ़ा रहे हैं. नाबार्ड से संबंधित हाईटेक किसान से जुड़े होने के बाद उन्होंने एक अपनी पुस्तक भी लिखी.
जैविक खाद से तैयार फसलों की डिमांड
हाईटेक किसान पवन यादव ने अन्य किसानों से अपील की है कि, वे लगातार जैविक खेती पर जोर दें और हमारे संपर्क में आए, जिससे उनको अधिक से अधिक मुनाफा मिले. आप फसल का उत्पादन थोड़ा कम होगा लेकिन फसल उत्पादन का अधिक मूल्य मिलेगा. कोरोना से वैश्विक महामारी के बाद लोग अच्छे खाने की डिमांड बढ़ गई है, जिससे जैविक खेती के द्वारा उत्पादन किया गया फसल व सब्जी की डिमांड लगातार बढ़ गई है.
एक साधारण किसान से कैसे बने हाईटेक किसान
गोंडा के विकासखंड परसपुर क्षेत्र के चरुहुआ गांव पवन कुमार सिंह के पास मशीनरी बैंक है जिसके तहत वह हाईटेक खेती करते हैं. उनका मानना है कि मशीनरी से खेती करने से लागत कम लगती है, परंपरागत खेती करने से अधिक लागत लगने के बाद अधिक मुनाफा नहीं होता है. हाईटेक किसान पवन कुमार सिंह मिश्रित खेती करते हैं. जैसे वह केले की खेती के साथ हल्दी की भी खेती कर रहे हैं. अपनी ही फसल में अधिक उत्पादन के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्मी कंपोस्ट खुद ही बनाते हैं, जिससे वर्मी कंपोस्ट आने से फसल अधिक होती है. धान, गेहूं की फसल के साथ गन्ने की फसल शहतूत की फसल की खेती कर रहे हैं.
मसालों की फसल भी तैयार करते हैं
सब्जी की फसल की खेती के साथ-साथ मसाले की खेती कर रहे हैं, जिसमें अजवाइन, तेजपत्ता व अन्य मसाले की फसल का उत्पादन कर रहे हैं. जिस तरीके से आज के दौर में छुट्टा जानवरों से निजात पाने के लिए किसान अधिक लागत से खेत की रुधायी करवाते हैं तो उनका कहना है कि खेत के किनारे बेशकीमती पेड़ लगाने के बाद फसल के साथ फसल की भी रखवाली करना उचित है कि, खेती के साथ खेत के चारों ओर पेड़ भी लगाना चाहिये.
ये भी पढ़ें.
बांध से निकलकर गांव में आ गया 8 फुट लंबा मगरमच्छ, कड़ी मशक्कत के बाद वन विभाग ने किया रेस्क्यू