Uttarakhand Election 2022: डोईवाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखंड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. देहरादून जिले में स्थित ये निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है. 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस सीट पर पहला चुनाव साल 2012 में हुआ, जिसे बीजेपी विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने जीता. निशंक का इस क्षेत्र में खासा प्रभाव था. वहीं उनके धुर विरोधी कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट भी कड़ी टक्कर देते रहे हैं.
साल 2014 में निशंक के लोकसभा चुनाव लड़ने से खाली हुई इस सीट पर बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को उतारा. त्रिवेंद्र इससे पहले रायपुर सीट से चुनाव लड़ा करते थे. दो बार के विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत को उपचुनाव में कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट ने पटकनी दे दी. इससे पहले त्रिवेंद्र दो बार रायपुर विधानसभा से विधायक रह चुके हैं. जबकि वह लगातार दो चुनाव 2012 और 2014 उपचुनाव हारे हैं.
साल 2017 के चुनाव में इस सीट से फिर हीरा सिंह और त्रिवेंद्र आमने सामने हुए. इस बार त्रिवेंद्र ने बिष्ट को करारी मात दी. त्रिवेंद्र के मुख्यमंत्री बनने से यह सीट वीआईपी कहलाने लगी, यहां मुख्यमंत्री रहते हुए त्रिवेंद्र ने कई विकास योजनाओं को शुरू किया. 2012 के आंकड़ों के अनुसार डोईवाला विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या 1 लाख 7 हजार 15 है.
डोईवाला को मॉडल विधानसभा बनाने का दावा
त्रिवेंद्र रावत भले 2017 में बतौर मुख्यमंत्री के चेहरे पर इस सीट से नहीं लड़े, लेकिन बीजेपी का साफ इशारा था कि चुनाव जीतने के बाद सबसे बड़ी जिम्मेदरी उन्हें ही मिलेगी. चुनाव जीतने के लिए उन्होंने कई दावे किये, जिनमें से बहुत से पूरे भी किए. मुख्यमंत्री ने डोईवाला विधानसभा को सिपेट संस्थान दिया. हर्रावाला में 300 बेड के कैंसर और जच्चा-बच्चा अस्पताल की नींव रखी.
इसके अलावा प्रदेश के पहले राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की आधारशिला भी डोईवाला क्षेत्र में रखी गई है. सिंचाई और पेयजल के लिए निर्माणाधीन सूर्यधार बांध, डोईवाला में मुंसिफ कोर्ट शुरू कराना, सड़कों का जाल, पेयजल की प्रभावी व्यवस्था, देहरादून-हरिद्वार नेशनल हाईवे के लिए काम शुरू कराना शामिल है.
मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि डोईवाला विधानसभा क्षेत्र में फिल्म सिटी बनाने, निफ्ट संस्थान के अलावा डोईवाला शुगर मिल में एथनॉल प्लांट लगाने समेत तमाम विकास कार्यों किये जाएंगे, जो धरातल पर नहीं उतर पाए हैं. हालांकि विधायकों के कितने वादे पूरे हुए, जब देवभूमि इनसाइडर की टीम ने आम जनता से किए गए वादों के बारे में पूछा तो जनता का काफी मिला जुला असर देखने को मिला. कई लोग सरकार के काम से खुश नजर आए वहीं दूसरी ओर कई लोगों का कहना है कि क्षेत्र में जो काम हुए भी हैं वो संतोषजनक नहीं हैं.
क्षेत्र की समस्याएं
1 ट्रैफिक जाम
2 कई जगहों पर बिजली और पानी की समस्या
3 बेरोजगारी
4 वैक्सीन न लग पाने से जनता परेशान
विकास के बावजूद जनता नाराज
डोईवाला के लिए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने करीब 150 घोषणाएं की थी, जिसमें से अस्सी फीसदी पूरी हो चुकी हैं. प्रदेश के अन्य विधानसभा क्षेत्रों की बात की जाए तो डोईवाला में रिकार्ड घोषणाएं हुई. क्षेत्र में विकास को लेकर मुख्यमंत्री ने कोई कसर नहीं छोड़ी, बावजूद इसके निकाये चुनाव में यहां बीजेपी को करारी मात मिली. यह त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए बड़ा झटका था, विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने के बावजूद उनके कामकाज से जनता संतुष्ट नहीं आई.
लोगों को कहना है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद सीएम क्षेत्र की आम जनता से कट गए, केवल कुछ गिने चुने भाजपाई ही उनसे मिल पाते थे. जनता से संवादहीनता का ही खामियाजा है कि क्षेत्र में कई विकास योजनाएं लाने के बावजूद उनको लेकर लोग संतुष्ट नहीं दिख रहे. बतौर पूर्व मुख्यमंत्री वह 2022 चुनाव में ताल ठोकने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन सफल होने के लिए उनको जनता के बीच जाना होगा. जनता से कटने का आरोप उनके लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है. वहीं कांग्रेस की बात करें तो हीरा सिंह बिष्ट लगातार जनता के बीच जा रहे हैं, उनको लेकर जनता में कोई खास विरोध भी नहीं है. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों दिग्गज आमने सामने होते हैं तो मुकाबला बेहद कांटे का रहेगा.