अमरोहा में प्रदूषण की चपेट में आकर बीमार पड़ रहे हैं लोग, मौन है प्रशासन
अमरोहा की औद्योगिक नगरी गजरौला में लगभग 39 छोटी बड़ी फैक्ट्रियां है जिनसे निकलने वाला प्रदूषित पानी नदियों को विषैला बना रहा है. चिमनीयों से निकलने वाली गैस हवा को दूषित कर रही है.
अमरोहा: उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के गजरौला कस्बा और आसपास के दर्जनों गांव के निवासी वातावरण में जहरीली हवा घुलने की वजह से बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. औद्योगिक नगरी गजरौला में बनी दर्जनों छोटी बड़ी फैक्ट्रियों से होने वाले प्रदूषण की वजह से गजरौला की हवा जहरीली हो चुकी है. औद्योगिक नगरी गजरौला में समाजसेवी भी प्रदूषण के खिलाफ धरने पर बैठ रहे है.
बीमारियों के शिकार हैं लोग अमरोहा की औद्योगिक नगरी गजरौला में लगभग 39 छोटी बड़ी फैक्ट्रियां है जिनसे निकलने वाला प्रदूषित पानी नदियों को विषैला बना रहा है. चिमनीयों से निकलने वाली गैस हवा को दूषित कर रही है. इन फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल युक्त जहरीले पानी ने बगद नदी को इतना जहरीला बना दिया है कि जहां-जहां से ये नदी गुजरती है वहा की खेती भी जल चुकी है. इतना ही नहीं आसपास के दर्जनों गांवों में नलों से पीले रंग का बदबूदार पानी आता है. गांवों में कई मरीज कैंसर, टीबी और दमे जैसी बीमारियों के शिकार हैं.
फैल रहा है जहरीला धुआं वैसे तो सुप्रीम कोर्ट से लेकर एनजीटी और एनजीटी से लेकर केंद्र सरकार तक हवा में फैल रही धूल और गुब्बार को लेकर परेशान है. प्रदूषण पर कंट्रोल पाने के नए-नए तरीके खोजे जा रहे हैं लेकिन गजरौला की फैक्ट्रियों में बनी चिमनियों से निकलने वाला जहरीला धुआं जिले के किसी अधिकारी को दिखाई नहीं देता. कई बार गजरौला कस्बे में और आसपास के गांव में लोगों को दिल मचलाने, उल्टी आने और दम घुटने जैसी शिकायतें हो चुकी हैं. फैक्ट्री के आसपास के इलाके में तो यह आम बात है.
ताक पर नियाम फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं को लेकर न तो प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड गंभीर है और न जिले के आला अधिकारी सक्रिय हैं. यही वजह है कि फैक्ट्री मालिक नियमों को ताक में रखकर प्रदूषित पानी को जमीन में और नालों के माध्यम से नदियों में बह रहे हैं तो धुएं को मानक ताक पर रखकर हवा में घोल रहे हैं.
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