प्रयागराज, एजेंसी। लॉकडाउन की वजह से देशभर के हजारों की संख्या में लोग प्रयागराज में फंस गए हैं। ये वो लोग हैं, जो यहां दिवंगत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए अस्थि विसर्जन और पिंडदान जैसे मृत्यु संस्कारों के लिए यहां आए थे।


झारखंड से अस्थि विसर्जन करने प्रयागराज आए एक परिवार के लोग बंद के कारण यहीं फंस गए, जिसके कारण उनके परिवार के अन्य लोगों ने उनके घर में तेरहवीं के भोज का आयोजन किया। झारखंड में बोकारो के रहने वाले कपिल देव महली बताते हैं, 'अस्थि विसर्जन करने के अगले ही दिन बंद लागू हो गया था, जिसके कारण हम यहीं फंस गए। हमने परिवार के अन्य लोगों को फोन पर अस्थि विसर्जन की सूचना दी और उन्होंने वहां तेरहवीं के भोज का आयोजन किया।'




इसी तरह असम के रांगिया से पिंडदान करने प्रयागराज आया 27 लोगों का समूह भी बंद के कारण यहां फंस गया है।रांगिया से आए सुनील राय ने बताया, 'हम गांव वापस जाकर लोगों को भोज देंगे। इस समय पूरे देश में संकट आया है, इसलिए हम भी मजबूर हैं। हालांकि हमारे तीर्थ पुरोहित ने हम सभी के रहने और खाने का पूरा इंतजाम कर रखा है और हमें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है।'


तीर्थ पुरोहित श्रवण कुमार शर्मा ने बताया कि जनता कर्फ्यू के बाद ही बड़ी संख्या में यजमान विमानों से अपने-अपने शहर चले गए थे, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर करीब 50 लोग ट्रेनें बंद होने के कारण वापस नहीं जा सके और उनके रहने-खाने की व्यवस्था तीर्थ पुरोहित कर रहे हैं। इनमें असम, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के लोग शामिल हैं।

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में लागू बंद ने अस्थि विसर्जन पर भी विराम लगा दिया है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए लागू किए गए बंद के कारण सनातन हिंदू धर्म के लोग धैर्य का परिचय दे रहे हैं और उन्होंने अपने मृत परिजनों के अस्थि कलश बंद खुलने तक पेड़ों पर टांग दिए हैं।

राधा कृष्ण निशान वाले झंडे के तीर्थ पुरोहित श्रवण कुमार शर्मा ने बताया कि भारत में अस्थि विसर्जन के लिए प्रयागराज का विशेष महत्व है और पंजाब, जम्मू कश्मीर, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश से लोग यहां अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि अस्थि विसर्जन का कार्य पहले कभी नहीं रुका, लेकिन कोरोना वायरस के चलते देशभर में बंद लागू होने से लोगों ने अस्थि विसर्जन का कार्य स्थगित कर दिया है और अस्थि कलश पेड़ों पर टांग दिए हैं। बता दें कि प्रयागराज में प्रतिदिन कम से कम 1000 लोग अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं।




मध्य प्रदेश के कटनी जिले के निवासी दीपक तिवारी ने बताया कि उनके मामा के लड़के अजय द्विवेदी की बीमारी से मौत हो गई और बंद के चलते वह प्रयागराज नहीं आ सके, इसलिए उन्होंने अस्थि कलश आम के पेड़ पर टांग दिया है। बंद खुलने पर वह प्रयागराज आकर गंगा नदी में अस्थि विसर्जित करेंगे।

ओड़िशा के जगन्नाथपुरी में त्रिलोचनपुर गांव के रहने वाले प्रभाकर आचार्य ने बताया कि उनकी बेटी प्रमिल उर्फ टिकली की मौत 27 मार्च को हो गई थी और उन्होंने बंद के चलते उसकी अस्थियां दीवार में खोह बनाकर उसमें रख दी हैं।

मध्य प्रदेश के रीवा जिले के विनीत सिंह बघेल ने बताया कि उनकी दादी का निधन 25 मार्च को हो गया था और सीमा सील होने की वजह से वह अस्थि विसर्जन के लिए प्रयागराज नहीं आ सके, इसलिए उन्होंने अस्थि कलश को पेड़ के नीचे गाड़ दिया है ताकि कोई उसके साथ छेड़छाड़ न कर सके। वह बंद खुलने पर अस्थियां लेकर प्रयागराज के लिए निकलेंगे।

अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के प्रवक्ता पंडित अमित राज वैद्य ने बताया कि देशभर में पिंडदान प्रयाग, काशी और गया में होता है जिसमें अस्थि विसर्जन प्रयागराज में ही होता है। बंद खुलने के बाद प्रयागराज में गंगा के तट पर अस्थि विसर्जन करने वालों का मेला देखने को मिलेगा क्योंकि बड़ी संख्या में लोग एक साथ प्रयागराज पहुंचेंगे।


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