बाराबंकी: बाढ़ पीड़ितों का दर्द, अपने आशियाने को खुद ही तोड़ रहे हैं गांववाले, पढ़ें ये रिपोर्ट
बाराबंकी में प्रशासन की बेरुखी से निराश बाढ़ पीड़ितों का हाल बुरा है. सरयू नदी अपने किनारों को लगातार काटकर आगे बढ़ रही है. जिसके चलते गांववालों को अपना घर डूबने की डर सता रहा है. हालात ये हैं कि अब वे अपना घर खुद ही तोड़कर पलायन करने को मजबूर हैं.
बाराबंकी. बाराबंकी में सरयू नदी की बाढ़ की कटान रोकने के लिए सरकार हर वर्ष करोड़ों रुपये का बजट खर्च करती है, जिससे ग्रामीणों को बाढ़ और उसकी कटान से बचाया जा सके, लेकिन हर वर्ष सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ जाती है. इस साल भी सरकार ने बाढ़ और नदी से होने वाली कटान के समाधान के लिए करोड़ों का बजट दिया है, मगर परिणाम हर साल की तरह फिर वही ढाक के तीन पात रहा. बाढ़ ग्रस्त गांवों में आज से नदी ने अपनी कटान शुरू कर दी है, तो ग्रामीणों ने घर को नदी में समा जाने के डर से अपना आशियाना खुद ही तोड़ना शुरू कर दिया है, जिससे उसमें लगी ईंट का उपयोग बाद में किया जा सके.
नदियों के कटान से लोगों में भय
बाराबंकी में सरयू नदी ने अब तक अपना विकराल रूप दिखा कर ग्रामीणों की सांसें रोक रखी थी, मगर आज से नदी ने कटान शुरू कर ग्रामीणों के होश उड़ा दिए हैं. ऐसे में तहसील सिरौलीगौसपुर के बाढ़ग्रस्त गांव जैसे तेलवारी, सनावा, सरायसुर्जन आदि गांवों में ग्रामीणों ने अपना घर खुद ही तोड़ना शुरू कर दिया है, क्योंकि उन्हें आशंका है कि जिस तरह से नदी किनारों को काट रही है, उससे उनका घर जल्द ही नदी में समा जाएगा. इसके अलावा विद्युत पोल से ग्रामीण स्वयं लाइट काट रहे है और अपना जरूरी सामान लेकर भाग रहे हैं. बाढ़ की इस कटान से चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल है.
प्रशासन की तरफ से अबतक कोई मदद नहीं
तेलवारी गांव निवासी ममता सिंह सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया नदी ने किनारों को काटना शुरू कर दिया है. उन्हें डर है कि जल्दी ही उनका मकान भी नदी निगल लेगी, इस वजह से वह लोग अपना मकान खुद ही तोड़ रहे हैं. जहां, तक प्रशासनिक मदद का सवाल है तो यहां कोई देखने ही नहीं आ रहा, तो मदद क्या करेगा. मकान तोड़ कर वह लोग किसी सुरक्षित स्थान की ओर जा रहे हैं, जिससे उनकी जान बच सके. उनकी सरकार से यही मांग है कि उनके लिए कुछ मदद भेजी जाए. बाढ़ की विभीषिका ने उन्हें बरबाद कर दिया है.
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