चमोली, लक्ष्मण राणा: करीब 7 करोड़ की लागत से जिला मुख्यालय गोपेश्वर में जल निगम ने लोगो को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति देने की मंशा से अमृत गंगा पेयजल योजना की शुरुआत की थी. लेकिन, जल निगम गोपेश्वर की बड़ी लाहपरवाही के चलते इतनी बड़ी योजना पर फिल्टर टैंक न बनाए जाने से लोग दूषित जल पीने को मजबूर हैं. हल्की बारिश होने पर पाईपलाइन के जरिए पानी में मिट्टी, कंकड़, घास बहकर आ रही है. साथ ही कई दिनों तक पाईपलाइन क्षतिग्रस्त होने के कारण शहर में पेयजल आपूर्ति ठप पड़ी रहती है. दूषित पानी पीने से कोरोना संक्रमण के इस दौर में जिला अस्पताल में टाइफाइड, डायरिया और पीलिया के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है.


वर्ष 2005-06 में गोपेश्वर क्षेत्र के लोगों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति मुहैया करवाने के मकसद से जल निगम की तरफ से करोंड़ों रुपए खर्च कर मंडल घाटी से गोपेश्वर तक अमृत गंगा पेयजल योजना के तहत पाईपलाइन बिछाकर शहर में पानी की सप्लाई दी गई थी. लेकिन जल निगम विभाग करोड़ों रुपए की इतनी बड़ी परियोजना पर एक फिल्टर नहीं बना पाया, जिससे बरसात के दौरान क्षेत्र के लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. वहीं विभागीय अधिकारी पानी उबाल कर पीने की सलाह देकर जवाबदेही से बचना चाह रहे है. उनका कहना है कि अक्सर बरसात के दौरान ये दिक्कत आती है. लोगो को पानी उबाल कर पीना चाहिए. लेकिन क्षेत्र में पानी की सप्लाई ऐसी है कि उबाल कर भी पीने योग्य नहीं हैं.


पूरे मामले को लेकर जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ हिमांशू मिश्रा का कहना है कि इन दिनों जिला अस्पताल में जल जनित रोगों से ग्रसित मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. उन्होंने कहा कि अगर साफ पानी न पिया तो टाइफाइड, डायरिया और पीलिया जैसे रोग हो सकते हैं, जिससे लिवर में भी संक्रमण हो सकता है.


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