Migration From Loni in Ghaziabad: दिल्ली-एनसीआर सहित गाजियाबाद का नाम आते ही ऊंची-ऊंची गगनचुंबी इमारतें चमचमाती सड़कें और तमाम सुविधाओं से लबालब शहर दिमाग में आते हैं. लेकिन गाजियाबाद के लोनी इलाके में सूरते हाल कुछ और ही है. यहां लोग बाग अपनी-अपनी समस्याओं को लेकर पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं, लेकिन आज हम आपको लोगों की एक ऐसी समस्या से दो चार करवाएंगे, जिसको लेकर लोग बाग पलायन को मजबूर हैं और यह समस्या कोई बहुत बड़ी समस्या भी नहीं, जिसका निदान शासन प्रशासन द्वारा ना किया जा सके.
सड़कों और घरों में भर जाता है बारिश का पानी
शासन और प्रशासन की अनदेखी के चलते ही लोनी के इंद्रापुरी इलाके में बरसात का मौसम शुरू होते ही घुटनों तक पानी भर जाता है और यह पानी लोगों के घरों में भी चला जाता है. आलम यह है कि, कई बार शासन एवं प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत के बाद भी साथ ही मौजूदा विधायक नंदकिशोर से भी कई बार अपनी शिकायत की, लेकिन इन सबके बाद भी लोगों की समस्या का कोई निवारण नहीं हुआ और हर बार की तरह इस बार भी एक दिन की बारिश में ही लोगों के घरों में पानी भर गया, सड़कों पर जहां वाहन चला करते थे, वह सड़क भी देखने को नहीं मिलती.
परेशान लोगों ने घर के बाहर पोस्टर चिपकाए
हालात यह हैं कि सड़क में गड्ढे नहीं शायद गड्ढों में सड़क ढूंढनी पड़ती है. कई बार शिकायत देने के बाद भी जब कोई निदान नहीं हुआ तो यहां रहने वाले लोगों ने अपने घरों के बाहर पोस्टर चस्पा कर दिए, जिसमें साफ तौर पर लिखा है, काम नहीं तो वोट नहीं. अगर काम नहीं हुआ तो लोग बाग़ पलायन करने को भी मजबूर हैं और यह पोस्टर एक या दो घरों में नहीं, बल्कि इंदिरापुरी के लगभग सभी घरों के बाहर लोगों ने चस्पा किए हैं. क्योंकि घरों में पानी भर जाने के कारण ना तो कहीं आ सकते हैं और ना ही कहीं जा सकते हैं. वहीं, दूसरी ओर शासन प्रशासन के अधिकारियों के भी चक्कर काट काट के लोग बाग परेशान हो चुके हैं.
आखिर कहां गये 6 हजार करोड़
हालांकि, अभी कुछ दिन पहले ही लोनी के मौजूदा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने मीडिया के सामने यह दावा किया था कि, लोनी के विकास में उन्होंने छह हजार करोड़ रुपए लगाए हैं. ऐसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि, आखिरकार 6 हजार करोड़ क्या महज कागजों में ही लगे हैं, जो विकास की बात लोनी में कही जा रही है, वह सिर्फ कागजों में ही हो रहा है. जरूरत है इस ओर नेताओं को शासन एवं प्रशासन के अधिकारियों को ध्यान देने की, वरना यहां रहने वाले लोग पलायन को मजबूर हो गए हैं.
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