खेल के मैदान में तब्दील हुई गौचर हवाई पट्टी, सैर-सपाटे के लिए यहां आते हैं लोग
उत्तराखड में आई आपदा के समय गौचर की हवाई पट्टी से वायुसेना व आर्मी ने रेस्क्यू अभियान चलाकर लोगों को अपने गंतव्य स्थानों तक पहुचाया था।
चमोली, एबीपी गंगा। चार धाम यात्रा शुरु होने में बहुत कम समय रह गया है। ऐसे में सीमान्त जिले चमोली के गौचर की हवाई पट्टी से हवाई सेवाऐं शुरु न होने पर गौचर के लोगो में काफी मायूसी है। लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री की उड़ान सेवा के तहत उन्हें उम्मीद थी कि गौचर की हवाई पट्टी से उड़ान सेवा शुरु होगी जिससे पहाडों में तीर्थांटन के साथ-साथ पर्यटन को बढावा मिलता, मगर सरकारों की अनदेखी व जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के कारण करोडों रुपए की लागत से बनी गौचर की हवाई पट्टी मात्र दुपहिया वाहन सीखने व सैर सपाटा का अड्डा मात्र बनकर रह गई है।
यात्रियों को नहीं मिल रहा लाभ
सीमान्त जिले चमोली को सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण देखते हुए सुरक्षा कारणों से 1996 मे कर्णप्रयाग तहसील के अंतर्गत गौचर में पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा कास्तकारो से 500 नाली कृर्षि भूमि का जबरन अधिग्रहण किया गया था और इस भूमि पर 1400 मीटर की हवाई पट्टी का निर्माण इस उद्वेश्य के साथ किया था कि सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय लोगों को इसका फायदा मिलेगा, लेकिन 1996 में अस्तित्व में आई हवाई पट्टी के बने 22 वर्ष व राज्य स्थापना के 18 सालों बाद भी हवाई पट्टी से नियमित उड़ीन सेवाएं शुरू नहीं हो पाई हैं। जिसके चलते क्षेत्रीय लोगों सहित तीर्थ यात्रियों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है।
आपदा के वक्त साबित की अहमियत
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारों की अनदेखी के चलते आज तक यहां से हवाई सेवाएं शुरू नहीं हो पाई हैं। इतना ही नहीं यह हवाई पट्टी 2013 की आपदा के दौरान विभिन्न स्थानों पर फंसे लोगो को रेस्क्यू करने के लिए संजीवनी सबित हुई थी। उत्तराखड में आई आपदा के समय गौचर की इस हवाई पट्टी से वायुसेना व आर्मी ने रेस्क्यू अभियान चलाकर लोगों को अपने गंतव्य स्थानों तक पहुचाया था। बीते समय केदारनाथ दौरे पर आए देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी व वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के विमान को इमरजेन्सी में इसी हवाई पट्टी पर उतारा गया था। मगर आज सरकारों की लापरवाही के कारण यह हवाई पट्टी वीरान पड़ी है। स्थानीय निवासियों ने सरकार से हवाई पट्टी से नियमित सेवाएं शुरु करने की मांग उठाई है ताकि क्षेत्रीय लोगों सहित तीर्थ यात्रियों को इसका फायदा मिल सके।
सैर-सपाटे का अड्डा बनी हवाई पट्टी
हवाई पट्टी से उड़ान सेवा शुरु न होने के कारण यह सैर-सपाटे व मोटर ट्रेनिंग का अड्डा मात्र बन कर गई। है। दुपहिया वाहनों के आए दिन हुडदंग से यहां कई लोग चोटिल भी हो चुके हैं मगर लापरवाह प्रसाशन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। लोगों का कहना है कि जिस कारण से कास्तकारो से भूमि सरकारों द्वारा जबरन ली गई थी वह सपना आज तक पूरा नहीं हो पाया है। सरकारें कई आईं और गईं मगर आज तक किसी ने भी हवाई पट्टी की सुध तक नही ली है।
दिखाए गए थे सपने
हवाई पट्टी के बिगड़ते स्वरुप के कारण इस पर चिंता जताते हुए कास्तकारों का कहना है कि सरकारों ने कास्तकारों को सपने दिखाये थे कि जमीनों के बदले प्रत्येक परिवार को उचित मुआवजा व एक व्यक्ति को नौकरी दी जायेगी व हवाई पट्टी बनने के बाद स्थनीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा, लेकिन आज हवाई पट्टी बने हुए 22 साल बीत चुके हैं और यहां से उड़ान शुरू नहीं हो पाई है।
शुरू हुई सियासत
कास्तकार जगमोहन सिंह कनवासी ने बताया कि हवाई पट्टी मात्र गाड़ी सीखने का अड्डा बन कर रह गई है। आए दिन दुर्घटना होती रहती है। वहीं, इस पूरे मामले में अब राजनीति भी शुरु हो गई है। वर्तमान में नगर पालिका अध्यक्ष व कांग्रेस नेता मुकेश नेगी ने कहा कि हरीश रावत जी की सरकार के दौरान यहां से हवाई सेवा शुरु की थी मगर भाजपा के आते ही यहां से सेवा बंद कर दी गई। उन्होने वर्तमान सरकार से हवाई पट्टी से नियमित उड़ान संचालित करने की मांग की है।