इस्लामाबाद, (भाषा)। देशद्रोह के मामले में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई गई है। मुशर्रफ को 2007 में संविधान निलंबित करने और देश में आपातकाल लगाने के जुर्म में यह सजा सुनाई गई है। बता दें कि ये दंडनीय अपराध हैं। इस मामले में उनके खिलाफ 2014 में आरोप तय किए गए थे। गौरतलब है कि वह पहले ऐसे सैन्य शासक हैं जिन्हें देश के अब तक के इतिहास में मौत की सजा सुनाई गई है। पेशावर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता में विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने ये सजा सुनाई।
अदालत के दो न्यायाधीशों ने मौत की सजा सुनाई जबकि एक अन्य न्यायाधीश की राय अलग थी। इसके ब्योरे अगले 48 घंटों में सुनाए जाएंगे। पूर्व सैन्य प्रमुख मार्च 2016 में इलाज के लिए दुबई गए थे और सुरक्षा एवं सेहत का हवाला देकर तब से वापस नहीं लौटे हैं।
विशेष अदालत में न्यायमूर्ति सेठ, सिंध उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नजर अकबर और लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शाहिद करीम शामिल हैं। अदालत ने 19 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। विशेष अदालत का यह आदेश इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व के एक आदेश के बावजूद आया है जिसमें उसे फैसला देने से रोका गया था।
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय का आदेश 27 नवंबर को आया था। इसके एक दिन बाद विशेष अदालत अपना फैसला सुनाने वाली थी। मुशर्रफ ने शनिवार को अपने वकीलों के जरिए दायर आवेदन में लाहौर उच्च न्यायालय से विशेष अदालत में चल रहे मुकदमे पर तब तक रोक लगाने को कहा था जब तक कि उनकी पूर्व याचिका पर उच्च न्यायालय फैसला नहीं ले लेता। उस याचिका में पूर्व तानाशाह ने इस मामले में मुकदमा चला रही विशेष अदालत के गठन और प्रक्रिया में हुई कानूनी खामियों को चुनौती दी थी। इस बीच, विशेष अदालत के फैसले से कुछ देर पहले लाहौर उच्च न्यायालय ने मुकदमे पर रोक लगाने की मुशर्रफ की याचिका की सुनवाई पूर्ण पीठ से कराने की अनुशंसा की।