लखनऊ: सिमी पर प्रतिबंध के बाद पैदा हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और सोशल डेमोक्रेडिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) जैसे संगठन राम मंदिर शिलान्यास के साथ ही सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने की कोशिश में लगे हुए हैं. CAA और NRC के विरोध में शुरू हुई हिंसा के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी एसडीपीआई गहरी साजिश रच रही है. पीएफआई और एसडीपीआई नाम भले ही अलग हो लेकिन इनके पीछे आइडलॉजी एक ही है. पीएफआई ने एक बार फिर देश के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश की है. राम मंदिर शिलान्यास के दौरान ही पीएफआई ने सोशल मीडिया के जरिए जहर उगलना शुरू कर दिया था. खुफिया एजेंसियों के द्वारा दिए गए इनपुट के बाद से पीएफआई और एसडीपीआई खुफिया एजेंसियों के रडार पर थी जिसके चलते ही लखनऊ और बहराइच से इन संदिग्ध संगठनों से जुड़े चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है.


सिमी का बदला हुआ रूप है पीएफआई


देश में सिलसिलेवार आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के बाद से प्रतिबंधित किए गए सिमी के बिखरे लोगों ने एक नया संगठन खड़ा किया. नाम रखा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, यानी पीएफआई. हालांकि पीएफआई के कागजी ओहदेदार सिमी के कनेक्शन को मना करते हैं लेकिन इसकी जड़ों में सिमी का जहर है यह खुफिया एजेंसियों के पास हमेशा इनपुट रहा है. वहीं, दूसरी ओर लोकतांत्रिक मूल्यों और अधिकारों की लड़ाई के नाम पर कर्नाटक से शुरू हुआ एसडीपीआई यानी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने इस्लाम का विरोध करने पर हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम देने और हिंसा के लिए ट्रेनिंग कैंप चलाने से शुरुआत की. देश में नागरिक संशोधन एक्ट के विरोध की आड़ में ही पीएफआई का नाम सबसे ज्यादा और सबसे पहले सुर्खियों में आया. खुफिया एजेंसियों के साथ-साथ यूपी एटीएस और ईडी ने पीएफआई के खातों की जांच शुरू की. लखनऊ से लेकर प्रयागराज, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा में इसके लोग पकड़े गए.


पीएफआई के खातों में 150 करोड़ रुपये की रकम


19 और 20 दिसंबर को हुई हिंसा में लखनऊ पुलिस ने जब पहली बार पीएफआई के लोगों को हिंसा की साजिश में गिरफ्तार किया तो पता चला इस हिंसा के पीछे पीएफआई के साथ-साथ एसडीपीआई भी शामिल थी. लखनऊ के हजरतगंज इलाके से पुलिस ने पीएफआई प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद, कोषाध्यक्ष नदीम और डिवीजन प्रेसिडेंट अशफाक को लखनऊ की सड़कों पर हिंसा फैलाने और लोगों को भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा. छानबीन में देशभर में पीएफआई के 70 से अधिक बैंक खाते सामने आए और जिसमें 150 करोड़ की रकम जमा थी.


19 और 20 दिसंबर को हुई हिंसा के पीछे जिस पीएफआई और एसडीपीआई का हाथ बताया गया उस पर प्रदेश भर में 510 एफआईआर दर्ज की गई. 2,000 से अधिक लोग जेल भेजे गए. 4252 नामजद किए गए. 6954 लोगों के नाम पुलिस की जांच में सामने आए. दर्ज की गई इस 510 FIR में 187 मामलों में पुलिस चार्जशीट लगा चुकी है. 5 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगाई गई और 318 मामले अभी विवेचना में लंबित हैं.


फिर सक्रिय हुआ है पीएफआई


यह आंकड़े बताने को काफी हैं कि पीएफआई ने दिसंबर महीने में कितनी गहरी साजिश रची थी और उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसको बेनकाब किया था. राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास का कार्यक्रम आया. एक बार फिर आईएसआई के इशारे पर लश्कर, हूजी जैसे आतंकी संगठनों के साथ साथ पीएफआई सक्रिय हो गया. पीएफआई ने अपने कारिंदों की मदद से सोशल मीडिया पर जहर उगलना शुरू कर दिया. खुफिया एजेंसियों ने साफ इनपुट दिया था कि इस बार खतरा आतंकी हमलों से ज्यादा देश के अंदर ही सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश जा ज्यादा है, जिसको लेकर उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने भी भरोसा जताया था कि हम खुफिया एजेंसियों के इनपुट पर सतर्क हैं ऐसे लोगों पर नजर रखी जा रही है.


सोशल मीडिया पर फैला रहा है जहर


इस बार पीएफआई ने राम मंदिर निर्माण की शुरुआत के साथ ही सोशल मीडिया पर जहर उगलना शुरू कर दिया था.  शुक्रवार को गिरफ्तार हुआ दिल्ली का रहने वाला पीएफआई का मीडिया प्रभारी अब्दुल मजीद सोशल मीडिया पर पांच अगस्त सुबह 10:00 बजे से ही जहर उगलने लगा था. सोशल मीडिया पर अब्दुल मजीद ने अपने करीबियों की मदद से Return Babri land to Muslims और Restore 370 का अभियान शुरू किया. फेसबुक, व्हाट्सएप टि्वटर पर अब्दुल मजीद ने इससे जुड़े तमाम आपत्तिजनक और भड़काऊ पोस्ट वायरल किए.


इसके साथ ही बहराइच पुलिस ने जरवल रोड से एक डॉक्टर समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए डॉक्टर अलीम, साहिबे आलम और कमरुद्दीन सोशल मीडिया पर ऐसा ही जहर फैला रहे थे. गिरफ्तार हुआ साहिबे आलम एसडीपीआई का पूर्व जिला अध्यक्ष रहा है और मौजूदा वक्त में पीएफआई का जिला मीडिया प्रभारी है, बहराइच से चल रहा यह व्हाट्सएप ग्रुप दुबई में बैठे शख्स के द्वारा चलाया जा रहा और ट्विटर पर बाबरी मस्जिद के नाम से विवादित पोस्ट वायरल की जा रही थी.


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