UP By Polls 2024: यूपी में संगठन और सरकार वाली बयानबाजी के बाद से ही.बीजेपी के भीतर माहौल बदला-बदला सा है. और इसी बदले हुए माहौल में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की अग्निपरीक्षा होनी है. नतीजे बताएंगे कि लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा स्तर के चुनाव में यूपी की जनता का मूड क्या है. और पता ये भी चलेगा कि जब चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम और काम पर होता है तो नतीजे क्या होते हैं?


उपचुनाव की तारीख भले अभी तक नहीं आई है लेकिन फैसले बता रहे हैं कि रणनीति कितनी धारदार है और इसी बीच यूपी सरकार के फैसले को लेकर उपचुनाव से पहले ही प्रयागराज में नया विवाद खड़ा हो गया. पूर्व विधायक उदयभान करवरिया 8 साल 9 महीने बाद नैनी सेंट्रल जेल से रिहा हुए. बाहर आते ही समर्थकों ने फूल-माला से स्वागत किया. सजा उम्रकैद की थी क्योंकि इनपर समाजवादी पार्टी के विधायक जवाहर पंडित की हत्या के मामले में दोष तय हुआ था लेकिन उदयभान करवरिया के बाहर आते ही सियासी सवाल उठने लगे. 


उदयभान ने 1996 में AK-47 से समाजवादी पार्टी के तत्कालीन विधायक की हत्या की थी. इलाहाबाद की ट्रायल कोर्ट ने 2019 में दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई लेकिन यूपी सरकार की सिफारिश पर गर्वनर ने उदयभान करवरिया की बाकी सजा को माफ कर दिया कहा गया कि जेल में अच्छे आचरण के आधार पर बाकी सजा माफ की जा रही है. 


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उदयभान करवरिया जेल से बाहर आए हैं तो जाहिर तौर पर सियासी रूप से सक्रिय भी दिखेंगे और ये सक्रियता उस फूलपुर विधानसभा सीट पर भी दिखेगी.जहां उपचुनाव होना है. उदयभान करवरिया को सियासी ताकतवर इस वजह से माना जा रहा है क्योंकि 2007 और 2007 में प्रयागराज की बारा सीट से बीजेपी के टिकट पर विधायक बन चुके हैं. 2017 में उदयभान की पत्नी नीलम करवरिया भी बीजेपी के टिकट पर प्रयागराज की मेजा सीट से विधायकी का चुनाव जीती थीं
 
केशव प्रसाद मौर्य के लिए भी चुनौती
उदयभान करवरिया की वक्त से पहले रिहाई को समाजवादी पार्टी बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है. पार्टी की तरफ से सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया और लिखा गया. आजीवन कारावास की सजा प्राप्त जघन्य हत्यारों,अपराधियों को योगी जी क्यों बाहर करवा रहे ये प्रश्न बड़ा है ? क्या सीएम योगी यूपी में कोई नया अपराधिक गैंग तैयार कर रहे ? सीएम बनते ही अपने मुकदमे सत्ता की ताकत से खत्म करवा लिए और अब अपराधियों को जेल से रिहाई खतरनाक है और कानून व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिन्ह है.
 
उदयभान करवरिया के जेल से आने का फूलपुर उपचुनाव में क्या असर पड़ेगा, ये तो वक्त बताएगा.लेकिन फूलपुर सीट पर दोनों ही खेमों से भरपूर तैयारी है. प्रवीण पटेल के सांसद बनने से खाली हुई फूलपुर सीट पर BJP की तरफ से 40 से ज्यादा दावेदारों के नाम सामने आ चुके हैं. पार्टी इस बात पर मंथन कर रही है कि यहां से पटेल प्रत्याशी उतारा जाएगा, किसी ब्राह्मण को मौका दिया जाए.या फिर किसी यादव पर दांव खेला जाए. 


2022 के चुनाव में BJP भले फूलपुर सीट जीत गई थी लेकिन इस बार राह आसान नहीं दिखती. क्योंकि 2022 में यहां BJP की जीत का अंतर सिर्फ 2 हजार वोट का था.और हाल ही में जब लोकसभा चुनाव हुए. तो इस सीट पर समाजवादी पार्टी 18 हजार वोटों से आगे निकल गई. चुनाव फूलपुर विधानसभा में होना है. ऐसे में एक चुनौती केशव प्रसाद मौर्य के सामने भी है क्योंकि 2014 में वो इसी लोकसभा सीट से सांसद थे. ऐसे में यहां नतीजे के बाद उनका सियासी वजन भी तौला जाएगा.और वैसे भी बीजेपी दावा कर रही कि वो उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करेगी. उधर सपा ने सभी 10 सीटों पर भी तैयारी तेज कर दी है.