Phulpur Bypoll Election 2024: उत्तर प्रदेश में विधानसभा की नौ सीटों पर हो रहे उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच भले ही समझौता हो गया हो, लेकिन प्रयागराज की फूलपुर सीट पर इंडिया गठबंधन के बीच का विवाद लगातार गहराता जा रहा है. समझौते के ऐलान के बावजूद कांग्रेस पार्टी यहां चुनाव लड़ने की जिद पर अड़ी हुई है. 


कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष सुरेश यादव ने गुरुवार को अंतिम समय में चुपचाप एक सेट में अपना नामांकन दाखिल कर दिया था. दूसरी तरफ आज वह पार्टी के तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर फिर से नामांकन दाखिल करेंगे. 


कांग्रेस- सपा में बढ़ी टेंशन
सुरेश यादव का नामांकन इसलिए भी बेहद अहम हो जाता है क्योंकि वह पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के बेहद करीबियों में माने जाते हैं. फूलपुर सीट पर समाजवादी पार्टी के घोषित उम्मीदवार पूर्व विधायक मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी बुधवार को ही अपना पर्चा दाखिल कर चुके हैं. 


ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अखिलेश यादव फूलपुर सीट से अपने प्रत्याशी मुजतबा सिद्दीकी का पर्चा वापस कराकर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सुरेश यादव को इंडिया गठबंधन का उम्मीदवार घोषित करेंगे. या फिर फूलपुर की सीट पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवार एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोकेंगे.


पोस्टर बना चर्चा का विषय
कांग्रेस पार्टी के गंगापार के जिलाध्यक्ष सुरेश यादव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर जारी करते हुए लिखा, "फूलपुर की माटी का लाल, करेगा कमाल." इस पोस्टर पर सुरेश यादव के साथ सिर्फ प्रियंका गांधी और राहुल गांधी की ही तस्वीरें हैं. 


कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और प्रभारी अविनाश पांडेय के साथ ही स्थानीय सांसद उज्जवल रमण सिंह और प्रमोद तिवारी व विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना के नाम और तस्वीरों को इस पोस्टर में जगह नहीं दी गई है.


कांग्रेस ने क्यों छोड़ी फूलपुर सीट?
सूत्रों से जानकारी मिली है कि कांग्रेस पार्टी की आपसी खींचतान का खामियाजा इंडिया गठबंधन को फूलपुर में भुगतना पड़ रहा है. विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक प्रियंका गांधी वाड्रा ने जिलाध्यक्ष सुरेश यादव को काफी पहले ही चुनावी तैयारी में जुट जाने का सिग्नल दिया था. उन्होंने सुरेश यादव को लेकर समाजवादी पार्टी के बड़े नेताओं से बातचीत भी की थी और उन्हें तैयार भी कर लिया था. 


हालांकि राष्ट्रीय महासचिव, उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय इस सीट पर एक दूसरे नाम को लेकर पैरवी कर रहे थे. प्रयागराज के कुछ बड़े नेता भी इसी नाम पर लामबंद हो रहे थे.  सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की प्रदेश कमेटी की तरफ से सुझाया गया नाम अखिलेश यादव को मंजूर नहीं था. 


कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के एक खेमे को भी यह नाम पसंद नहीं था. समाजवादी पार्टी के एक पूर्व सांसद को कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव रखा गया था. इसी खींचतान और रस्साकशी के चलते पार्टी ने आखिरी समय में फूलपुर के बजाय मिर्जापुर की मझवा सीट पर ज्यादा फोकस किया. 


सुरेश यादव ने लगाए ये आरोप
जिलाध्यक्ष सुरेश यादव के साथ जुड़े कार्यकर्ताओं का दावा है कि यूपी कांग्रेस के नेताओं की आपसी खींचतान की वजह से ही फूलपुर सीट पार्टी के हाथ से चली गई, इसके बाद समाजवादी पार्टी ने वहां पूर्व विधायक मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी को अपना उम्मीदवार घोषित कर उनका नामांकन भी करा दिया. 


सुरेश यादव शुक्रवार (25 अक्टूबर) को भी एक सेट में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर नामांकन करेंगे तो दूसरे सेट में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करेंगे. इससे पहले उन्होंने गुरुवार यानी कल काफी चुपचाप तरीके से नामांकन किया था, जबकि आज वह पार्टी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में पर्चा दाखिल करेंग.


इंडिया गठबंधन को होगा नुकसान?
सवाल उठता है कि जिलाध्यक्ष सुरेश यादव खुद अपनी मर्जी से नामांकन कर रहे हैं या फिर पार्टी के कुछ बड़े नेताओं के इशारे पर यह कदम उठा रहे हैं. वैसे इस मामले में कांग्रेस नेताओं की चुप्पी बहुत कुछ बयां रही है. 


कहा जा सकता है कि कांग्रेस की आपसी खींचतान का खामियाजा आने वाले दिनों में फूलपुर के साथ ही उत्तर प्रदेश की दूसरी सीटों पर हो रहे उपचुनाव में इंडिया गठबंधन को भुगतना पड़ सकता है.


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