लखनऊ: कानपुर शूटआउट के मास्टरमाइंड विकास दूबे एनकाउंटर मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से राहत मिली है. कोर्ट ने सरकार के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. यह याचिका नंदिता ठाकुर की तरफ से दायर की थी जिसे लेकर कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि कोर्ट आयोग बनाकर सिटिंग जज या रिटायर्ड जज से न्यायिक जांच कराए.
सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया है कि रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन कर दिया गया है. सीनियर आईएएस की अध्यक्षता में एसआईटी बना दी गई है और पूरे मामले की जांच शुरू हो गई है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस पंकज जायसवाल और जस्टिस करुणेश पवार ने फैसला दिया कि एसआईटी और आयोग से कानपुर मामले जांच जारी है. कोरेट ने नंदिता ठाकुर से कहा कि आपकी मांगें मानी जा चुकी हैं याचिका खारिज की जाती है.
गौरतलब है कि, विकास दुबे एनकाउंटर मामले की ज्यूडिशियल इंक्वायरी की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिका पर कोर्ट ने अर्जेन्सी मानते हुए 15 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव प्रभा शंकर मिश्रा की तरफ से दाखिल जनहित याचिका में मुख्य तौर पर तीन मांग की गई है. जिसमें पूरे मामले की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज या फिर कोर्ट जिसे तय करे उससे कराई जाए. दूसरी मांग कोर्ट की तरफ से डे-टू-डे मॉनिटरिंग की जाए, इसके अलावा जो निर्दोष हैं उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के अलावा उन्हें बेवजह प्रताड़ित न किया जाए. जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने सुनवाई की सहमति दी है.
बता दें कि, उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और विकास दुबे की पुलिस मुठभेड़ में हुई मौत की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है. सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति शशि कांत अग्रवाल के नेतृत्व में एकल सदस्यीय जांच आयोग गठित करने का फैसला लिया गया है. आयोग का मुख्यालय कानपुर में होगा. राज्य सरकार की ओर से इस बारे में रविवार को अधिसूचना जारी की गई थी.
दो जुलाई को बिकरू गांव में हुई घटना के अलावा 10 जुलाई तक पुलिस और इस मामले से संबंधित अपराधियों के बीच प्रत्येक मुठभेड़ की भी जांच आयोग करेगा. आयोग विकास दुबे और उसके साथियों की पुलिस और अन्य विभागों/ व्यक्तियों से संबंध रखने और शामिल होने वाले मामले की भी जांच करेगा. आयोग दो माहीने के भीतर अपनी जांच पूरी कर लेगा.
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