मथुरा. यूपी के मथुरा में स्थित बांके बिहारी मंदिर में दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को ऑनलाइन समय लेने की सलाह दी गई है. मंदिर की तरफ से कोविड-19 के प्रसार को रोकने के ऐहतियाती उपाय के तौर पर भक्तों को ऑनलाइन समय लेने की सलाह दी गई. मंदिर के एक पदाधिकारी ने सोमवार को इसकी जानकारी दी है.
मंदिर के प्रबंधक मुनीष शर्मा ने बताया कि मंदिर में प्रवेश के लिए ऑनलाइन बुकिंग 25 अक्टूबर से अनिवार्य की गई थी, लेकिन कुछ श्रद्धालु अभी भी इस सुविधा का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिना मास्क लगाये श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा.
क्या है मान्यता
वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी का मंदिर विश्व प्रसिद्ध है. मंदिर के विशाल चौक में ऊंचे जगमोहन के पीछे निर्मित गर्भग्रह में भव्य सिंहासन पर ठाकुर बांकेबिहारी विराजते हैं. कहा जाता है कि संगीत शिरोमणि हरिदास के अनुरोध पर बांके बिहारी की मूर्ति प्रकट हुई थी. हरिदास के शिष्य विट्ठल विपुलदेव एवं बिहारिन दास ने एक बार उनसे पूछा था कि जिस निकुंज के सामने आप संगीत साधना करते हैं उसका क्या रहस्य है.
स्वामी हरिदास ने कहा था कि सब समाज को बुलाओ. सब समाज वहां जुट गया तो हरिदास ने स्वर लहरियों को छेड़ते हुए गाया- "माई री सहज जोरी प्रगट भई जु रंग की गौर श्याम घन दामिनी जैसे" इसके बाद प्रकाश का धीरे-धीरे बढ़ता गया और उस प्रकाश के मध्य परस्पर हाथों में हाथ लिए मुस्कुराते हुए स्यामा-कुंजबिहारी प्रकट हुए. हरिदास की प्रार्थना पर यह युगल जोड़ी एकाकार हो गई. आज श्रद्धालु जिन बांके बिहारी के दर्शन करते हैं, वह प्रिया-प्रीतम का ही युगल स्वरूप है.
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